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लिपि-समस्या 195
"In the mean while let us recognise that while so many new decipherments are appearing they cannot all be right, and are more likely all to be wrong,"
इतना विवेचन 'सिंधुघाटी लिपि' के सम्बन्ध में करने की इसलिए आवश्यकता हुई कि यह जाना जा सके कि किसी अज्ञात लिपि को पढ़ने में कितनी समस्याएँ निहित रहती हैं और उन सबके रहते भी किसी और महत्त्वपूर्ण बात का प्रभाव रहने से अज्ञात लिपि को ठीक-ठीक जानने की प्रक्रिया असफल हो जाती है। सिंधुघाटी सभ्यता के सम्बन्ध में जितने भी विकल्प रखे गये हैं वे सभी इतिहास से न तो पुष्ट ही हैं, न सिद्ध ही हैं ।
___ यथा—पहला विकल्प यह है कि यह सभ्यता पार्यों के आगमन से पूर्व की द्रविड़ सभ्यता है। पार्यों के आगमन से पूर्व द्रविड़ सारे भारतवर्ष में बसे हुए थे। अब आर्यों के आगमन का सिद्धान्त तथा द्रविड़ों का आर्यों से भिन्न रक्त या नस्ल का होने का नृतात्त्विक सिद्धान्त, ये दोनों ही पूर्णतः सिद्धप्रमेय नहीं माने जा सकते, न अकाट्य प्रमाणों से पुष्ट है। इस सम्बन्ध में एक अन्तर बहुत स्पष्ट दिखाई पड़ता है, मूलत यह सिद्धान्त बिदेशियों के द्वारा ही प्रतिपादित हुए थे, और मूलतः सिन्धुघाटी को द्रविड़ सभ्यता के अवशेष बताने वाले भी अधिकांशतः विदेशी ही हैं, और भारतीयों का झुकाव अभेद को स्वीकृति पर निर्भर करता है। इमी अप्रामाणिक अन्तर के कारण द्रविड़ भाषा, द्रविड़-लिपि और कार्य भाषा तथा असुर भाषा का विकल्प उठा है।
सिंधु-लिपि में मिस्र की चित्रलिपि तथा सुमेर की लिपि के साथ ब्राह्मी लिपि के साम्य भी हैं । इससे कल्पना की गयी कि मिस्र और सुमेर में उधार लिये गये शब्द और वर्ण हैं। डॉ. राजबली पाण्डेय ने यह सुझाव दिया है कि जहां तक एक से दूसरे के द्वारा उधार लेने का प्रश्न है निम्नलिखित ऐतिहासिक परम्पराएँ इसमें हमारी सहायता कर सकती हैं(म) प्राचीन मिस्र की सभ्यता के निर्माता लोग पश्चिमी एशिया से मित्र को
गये थे । (प्रा) यूनानी लेखकों के अनुसार फोनेशियन्स, जो कि प्राचीन काल के महान्
सामुद्रिक यात्रा-दक्ष और संस्कृति-प्रसारक लोग थे; त्यर (TYR) में उप
निवेश बनाकर रहते थे जो कि पश्चिमी एशिया का बड़ा बन्दरगाह था । (इ) सुमेरियन लोग स्वयं भी समुद्र के मार्ग से बाहर से: प्राकर सुमेरिया में
बसे थे। (ई) पुरानी ऐतिहासिक परम्पराओं के अनुसार, जो कि पुराणों और महाकाव्यों
में दी हुई हैं, आर्य-जातियाँ उत्तर-पश्चिमीः भारत से उत्तर की ओर और
1. The use of Aryan ann Dravadian as racial terms is unknown to scientific stu
dents of Anthropology (Nilkantha Shastri, cultural contacts between Aryon & Dravadians P2). There is no Drevadian race and no Aryan race. (A. L. Bashem : Bulletin of the .nstitute of Historical research II (1963), Madras.
(स्वाहा. . पर उद्धृत)
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