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काल निर्धारण 309
इस प्रकार केवल काल-निर्णय के सम्बन्ध में ही समस्याएं नहीं खड़ी होती 'कविनिर्धारण' के सम्बन्ध में भी उठती हैं। इस समस्या के भी कितने ही पक्ष होते हैं। उनमें से कुछ पर हमने उदाहरण सहित कुछ प्रकाश डाला है। सभी उदाहरण इस क्षेत्र के कार्यकर्ताओं और विद्वानों से ही लिये गये हैं ।
पांडुलिपि-विज्ञानार्थी को अपनी प्रतिभा से इस दिशा में उपयोगी कार्य करना होगा, और उसको काल-निर्णय और कवि-निर्णय की समस्या के लिए और अधिक ठोस वैज्ञानिक प्राधार निर्मित करने होंगे । इस अध्याय में जितना इस समस्या पर उदाहरणार्थ कुछ ग्रन्थों के मंथन का सहारा लिया गया है, ठोस सिद्धान्तों तक पहुँचने के लिए उसे और भी अधिक ग्रन्थों का मंथन करना होगा।
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