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काल निर्धारण/275
उत्तम पुला रो पक्ष बुद होई । लिख्यो प्रतीति कर प्रांनो सोई ।।
अथवा माघ सुदी तिथि पूरना षग पुष्प अरू गुरुवार
गिनि अठारह से बरस पुनि तीस संवत सार ॥2 अब हम यहां डी० सी० सरकार की 'इण्डियन ऐपीग्राफी' से एक राजवंश के लेखों में दिये गये उनके राज्यारोहण (Regnal) संवत् का ऐतिहासिक कालक्रम में सगत स्थान निर्धारण करने की प्रक्रिया को स्पष्ट करने के लिए पूरी गवेषणा को संक्षेप में दे रहे हैं, साथ ही प्रक्रिया को समझाने के लिए टिप्पणियां भी दी जा रही हैं । यह हम इसलिए कर रहे हैं कि इस एक उदाहरण से सीधी और जटिल तथा परिस्थितिपरक साक्षियों का एकसाथ ज्ञान हो सकेगा।
प्रश्न 'भौमकार-संवत्' से सम्बन्धित है। भौमकार वंश ने 200 वर्षों के लगभग उड़ीसा में राज्य किया। इनके लेखों तथा इनके अधीनस्थ राज्यों के लेखों में इस संवत् का उल्लेख मिलता है। डी.सी. सरकार का विवरण
टिप्परिणयाँ 1. भौमकार राजाओं का संवत् इस वंश 1. यह पहली स्थापनाएँ हैं जो इस वंश
के प्रथम राजा के राज्यारोहण काल के शिलालेखों एवं अन्य लेखों से मिले से ही प्रारम्भ हुआ होगा। इस वंश संवतों के आधार पर विद्वान इतिहासके अठारह राजाओं ने लगभग दो कार ने की हैं शताब्दी उड़ीसा पर राज्य किया। इसी राजवंश के मिले संवतों के धर्म महादेवी सम्भवतः इस वंश की तारतम्य को मिलाकर इतनी स्थापना अन्तिम शासिका थी जिसका राज्य तो की ही जा सकती थी। प्रश्न अब भौमकार संवत् के 200वें वर्ष के यह है कि दो-सौ वर्ष यह संवत् चला । लगभग समाप्त हो गया।
ये 200 वर्ष हमारे आधुनिक ऐतिहासिक कालक्रम के मानक में ई० सन् में कहाँ रखे जा सकते है ?
2. एकमात्र अभिलेख-विज्ञान (पेलियो- 2. कीलहान का अनुमान लिपि की विशे
ग्राफी) ही की सहायता से काल-निर्णय षता के आधार पर था, पर सरकार ने किया जा सकता था सो कीलहान ने ऐतिहासिक घटनाक्रम देकर उसे दण्डी महादेवी की गंजम प्लेटों का असम्भव सिद्ध कर दिया है-फलतः काल अभिलेख लिपि-विज्ञान के ऐतिहासिक घटनाक्रम यदि निश्चित आधार पर तेरहवीं शताब्दी ई० के है तो उसके विरुद्ध कोई अनुमान नहीं लगभग माना है। इन प्लेटों में एक माना जा सकता। में भीमकार संवत् 180 वर्ष पड़ा है।
- 1.
2.
वही, पृ. 79। वही, पृ. १08 ।
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