________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
5- दुम्मा (खम्मस)
6 - सित्त ( सिन 5 = सित्त)
7- सवा (सब्बा)
8- समानिया ( सम्मान)
9 - तसा ( तिस्सा)
10- अशर
11- अहद् अशर
12- अस्ता ( इसने ) अशर
13 - सलासह (सल्लास ) अशर
14- श्ररबा अशर
20- प्रशरीन्
30- सलासीन (सल्लासीन)
40- अरबईन्
50 - खम्सीन्
60 - सित्तीन ( सित्तन)
70 - सवीन् (सब्बैन)
80 - समानीन ( सम्मानीन)
90 - तिसईन ( तिस्सन)
100 - माया (मया )
200 - मतीन (मयातन)
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
काल निर्धारण / 265
300 - सलास माया (सल्लास माया)
400 अरबा माया
1000 - लफ् (अलफ )
10000 - अशर अलफ्
इन अंक-सूचक शब्दों में सन् लिखने से पहिले शब्द से इकाई, दूसरे से दहाई, तीसरे से सैंकड़ा और चौथे से हजार बतलाये जाते हैं जैसे कि 1313 के लिए 'सलासो श्रो सलास माया व अलफ '1 लिखा जायेगा ।
फसली सन्
यह सन् अकबर ने चलाया । फसली शब्द से ही विदित होता है कि इसका 'फसल' से सम्बन्ध है । 'रबी' श्रौर 'खरीफ' फसलों का हासिल निर्धारित महीनों में मिल सके इसके लिये इसे हिजरी सन् 971 में अकबर ने प्रारम्भ किया । हिजरी 971 वि० सं० 1620 में और ईस्वी 1563 में पड़ा। इस फसली सन् में वर्ष तो हिजरी के रखे गये पर वर्ष सौर (चांद्रसौर) वर्ष के बराबर कर दिया गया। महीने भी सौर ( या चन्द्रसौर) भान के माने गये ।
For Private and Personal Use Only
यह सन् अब तक भी कुछ न कुछ प्रचलित है, पर अलग-अलग क्षेत्र में इसका आरम्भ अलग-अलग माना जाता है, यथा :
1.
भारतीय प्राचीन लिपिमाला. पृ० 191 ।