________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
पांडुलिपि-प्राप्ति और तत्सम्बन्धित प्रयत्न क्षेत्रीय अनुसंधान / 101
'नाथ वंश प्रकाश' ( पद्य 275) में लिखा है कि 'मीर खाँ' के युद्ध के समय कृष्ण सिंह जी का चेहरा चमकता था और शत्रुगरण उससे क्षोभित होते थे ।
'नाथ वंश प्रकाश' ( पद्य 270 ) में लिखा है कि समरू बेगम ने चौमूं पर चढ़ाई की। उस समय उसका कर्नल आगे आया था । उसको कृष्ण सिंह जी ने ससैन्य परास्त किया और उसके साथ वालों के रुण्ड-मुण्ड उठाकर पीछे हटा दिया ।
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
'प्राचार्य श्री विनय चन्द ज्ञान भण्डार ग्रंथ सूची ( भाग - 1 ) से विदित होता है कि इस भण्डार में चन्द कवि के तीन ग्रंथ हैं-
1. चन्द - नेम राजमती पद (हिन्दी - राजस्थानी ) 5 छंद 1
2. चन्द - राधा कृष्ण के पद - 5 पद
3. चन्द - सीमन्धर स्वामी की स्तुति - 6 छन्द
इनमें से दो जैन कवि हैं और एक कवि को उसकी रचना के विवरण के आधार पर वैष्णव माना जा सकता है ।
इससे पूर्व कि कवि चंद के सम्बन्ध में ऊपर की सूची को लेकर और पं० कृपा शंकर तिवारी के हस्तलेखागार में प्राप्त सामग्री के आधार पर कुछ कहा जाय हम तिवारी जी की सामग्री पर भी संक्षिप्त टिप्पणियाँ नीचे प्रस्तुत कर रहे हैं ।
(1) कवि चंद
रचना -- नाग दवन ('नाग लीला' लिपिकार द्वारा) पूर्ण । रचना काल - संवत् 1756 श्री. सु. 5, बुधवार ।
लिपिकाल - संवत् 1869 अध० बदी 3, फोलियो 1 से 9 तक
विवररग
यह ग्रन्थ कवि चंद द्वारा संवत् 1756 में रचा गया है। इसमें कृष्ण द्वारा काली दमन की घटना का वर्णन है । ग्रन्थ ब्रज एवं राजस्थानी भाषा से युक्त है । कवि ने द्वित शब्दों का अवसरानुकूल प्रयोग किया है । भाव, भाषा, शैली आकर्षक है । कहीं-कहीं पृथ्वीराज रासो की सी झलक दृष्टिगत होती है। प्रारम्भ में गणेश, शारदा की वंदना है । कवि ने चोपाई का अधिक प्रयोग किया है। इसके अतिरिक्त अरिल्ल, छप्पय, दोहा, भुजंगी, कुण्डलियाँ, पाधरी, सर्वया आदि का अच्छा प्रयोग किया है । भावनाओं का वर्णन करने में कवि सफल हुआ है । यह ग्रन्थ पूर्ण है । उदाहरणार्थ :
प्रारम्भ
दोहा
हौ गनपति गुन विस्तरों सिधिवुधि दातार । अष्ट सिधि नव निधि करो कृपा करतार ॥ तुब तन बरदाइनी करें मूढ़ कबिराइ । बुधि विचित्र कवि चन्द को दे अब सारद भाइ ।। सत्रह से दस पंचच्छर मैं नही
1. भानावत, नरेन्द्र (डॉ०) सं. - आचार्य श्री विनय चन्द ज्ञान भंडार, ग्रन्थ सूची, पृ. 38 |
2. वही, पृ.661
3. वही, पृ. 88
For Private and Personal Use Only