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110/पाण्डुलिपि-विज्ञान
अत्यन्त सूक्ष्म रचना मिलती है । हमारी दृष्टि में यह कवि महत्त्वपूर्ण है। यह आवश्यक है कि इस पर विशेष ध्यान दिया जाये । हमने ऊपर स्पष्ट किया है कि हमारी दृष्टि में इसका रचनाकाल 1856 होना चाहिए । हमें 'सत्रह से दस पंच' पर ही नहीं रुकना चाहिए पागे छर' को भी ग्रहण करना होगा।
हमारे दूसरे कवि चन्द 'भागवत दोहा' सूची के लेखक हैं। जैसा कि हमने ऊपर टिप्पणी में बताया है कि यह 'भागवत दोहा सूची' ग्रन्थ श्रीमद्भागवत् श्रीधरी टीका की दोहों में सूची है। कवि ने एक-एक अध्याय को एक-एक दोहे में अत्यन्त संक्षेप में प्रस्तुत कर दिया है। ग्रन्थ में जो उल्लेख है उससे विदित होता है कि लेखक ने 10 स्कंध ग्रन्थ 1895 में पूरा किया, द्वादश स्कंध 1896 में नृसिंह चौदस को। इन चन्द के सम्बन्ध में इस ग्रन्थ में जो परिचय दिया हुआ है उससे प्रतीत होता है कि यह फतेहगढ़ के नृपति महाराजा बाघसिंह के पुत्र थे । अंत में, एक दोहे में यह भी उल्लेख है जो ऊपर की टिप्पणी में विद्यमान है। प्रारम्भ में जिस प्रकार वल्लभाचार्य और विट्ठलनाथजी की वंदना की गयी है उससे स्पष्ट है कि यह पुष्टि मार्गी थे। इन कवि चन्द का पता मिश्रबन्धुनों को नहीं था, ऐसा प्रतीत होता है। हमारे कवि चन्द के 'भागवत दोहा सूची' ग्रन्थ के समकक्ष ग्रन्थ 'भागवत सार भाषा' के लेखक चन्द्रधन को मिश्रबन्धुओं ने 1863 के पूर्व का बताया है। ग्रन्थ के नाम से भी यह सम्भावना प्रतीत होती है कि मिश्रबन्धुओं के चन्द्रधन पुष्टिमार्गी कवि चन्द से भिन्न हैं । अतः ये एक नये कवि हैं जिनका अब तक पता नहीं था। इसमें कोई सन्देह नहीं कि यह 'वाधनृपति सुत चन्द' विद्वान भी थे और उच्च कोटि के कवि भी थे, तभी एक अध्याय का सार एक दोहे में दे सके ।
फिर एक कवि चन्द 'अभिलाषा पच्चीसी' के लेखक है। प्रतीत होता है कि 'समय पच्चीसी' और श्री राम जी चौपड़ के ख्याल' के लेखक भी यही कवि चन्द हैं। बहुधा इन्होंने अपने नाम के साथ हित लगाया है यथा 'कवि चन्द हित' जिससे भी सिद्ध होता है कि ये हित हरिवंश सम्प्रदाय अर्थात् राधावल्लभी सम्प्रदाय के कवि हैं ।
. कवि चन्द हित की इन रचनाओं का लिपि समय 1823 दिया हुआ है । हित शब्द के आधार पर देखें तो मिश्रबन्धुओं के 1001 की संख्या के कवि चन्द हित भी राधावल्लभी हैं अतएव दोनों एक ही प्रतीत होते हैं। पर इनमें से किसी के साथ रचनाकाल नहीं दिया हुआ है। इससे अन्तिम निर्णय नहीं लिया जा सकता।
___ इनके बाद चन्द्रलाल गोस्वामी के दो रचनाकाल हैं, एक 1767 और एक 182और एक अन्य चन्द राधावल्लभी का समय 1880 है। इन तीनों का विशेष विवरण मिश्रबन्धु विनोद में नहीं दिया गया है। इसलिये यह निर्णय सम्भव नहीं कि यह हमारे कवि चन्द हित से भिन्न हैं या अभिन्न । किन्तु इसमें संदेह नहीं कि कवि चन्द हित की रचनायें 'समय पच्चीसी', 'अभिलाष पच्चीसी' तथा 'राम की चौपड़ का ख्याल' नयी उपलब्धियां हैं और इसी प्रकार 'नीतिसार भाषायाम' के लेखक कवि चन्द भी एक नयी खोज हैं। जयपुर नरेश सवाई जयसिंह का 1699 से 1743 तक शासनकाल है । इनके राज्य के मुसाहिब श्री मनोलाल दरोगा के लिए यह रचना कवि चन्द ने रची ।।
1. इति शी नीति सारे भाषायां, कवि चन्द विरचितं दरोगा जी श्री मनीलालजी हेत।
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