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पाण्डुलिपि-प्राप्ति और तत्सम्बन्धित प्रयत्न : क्षेत्रीय अनुसधान/113
काल राजवंश
कविवंश 1503-1527 ई० 1-पृथ्वीराज चन्द्रमणि (उतनवास, कान्य 1548-1574
2-भारमल्ल
कुब्ज, बनपुर अन्तर्वेद गिरधर 1574-1590
3-भगवतदास (दिल्ली पति की सेवा में आये) 1590-1614
4-मानसिंह
शिरोमणि
5-जगतेश 1615-1622
6-महासिंघ
7-भावसिंह 1622-1667
8-जयसिंह प्र.
1-माधव 2-लच्छीराम
3--रामचन्द्र 1667 1690
9-रामसिह प्र० 10-कृष्णसिंह
11-विष्णुसिंह 1700-1743
12-जयसिंह सवाई द्वि 1743-1751
13-सवाई ईश्वरीसिंह 1751-1778
14-सवाई माधवसिंह शोभाचंद, जवाहर 1778-1803
15-सवाई प्रतापसिंह लालचंद 1803-1818 16-सवाई जगतसिंह
17-सवाई जयशाह 1835-1880
18-सवाई रामसिंह द्वि० सुकवि चंद 1880-1922
19-सवाई माधोसिंह जी
बहादुर द्वि० 1922-1970
20-सवाई मानसिंह 1970-1971
21-सवाई भवानीसिंह ऐसा प्रतीत होता है कि 'नाथ वंश प्रकाश' का लेखक तथा 'संग्राम सागर' का लेखक तथा 'नीतिसार' का लेखक एक ही व्यक्ति है। इस कवि ने संग्राम सागर में यह उल्लेख तो किया है कि उसने सवाई रामसिंह के लिए सात ग्रन्थ लिखे । एक ग्रन्थ 'भेद प्रकाश नाटक' भी एक अन्य हस्तलेखागार में हमें देखने को मिला। उसका लेखक भी सुकवि चंद है। उसका रचना काल सन् 1890-1912 दिया हुआ है। यह भी इसी कवि का प्रतीत होता है। मिश्रबन्धु विनोद ने कवि चन्द के जिस 'भेद प्रकाश ग्रन्थ' का उल्लेख किया है वह भी इसी कवि से अभिन्न विदित होता है। इस कवि की ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इस कवि का काव्य स्तर भी ऊँचा है। यहाँ खोज में प्राप्त इन 'चन्द' नाम के कुछ कवियों का सामान्य परिचय तुलनापूर्वक दिया गया है ।
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