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122 पाण्डुलिपि-विज्ञान
वज्रगीति, दोहा कोष-उपदेशगीति, दोहा कोष, तत्वोपदेश-शिखरदोहा कोष, भावना फल-दृष्टि चर्या, दोहा-कोष, बसन्ततिलक-दोहा कोष, चर्यागीत दोहा कोष, महामुद्रोपदेश दोहा कोष, सरहपाद गीतिका (गोपालधर्मपाल के राज्य-काल (750-70-806 ई०) में विद्यमान ।। रा० सां.--"पुरातत्त्व निबन्धावलि (पृ० 169) रा० मां०- हिन्दी काव्य
धारा)। 2. 1459 वि०सं० 1516
9, ज्येष्ठ बदि, बुधवार (रचना काल)। 'लखमसेन पद्मावति' रचयिता दामो। लिपिकाल : सं० 1669 वर्ष, माह 7 । लिपिस्थान : फलखेड़ा । संवत् पनरइ सोलोत्तरा मझारि, ज्येष्ठ बदि नवमी बुधवार । सप्त तारिका नक्षत्र दृढ़ जाणि, वीर वाधारस करू बँखाण” दामो रचित लखमसेन पद्मावती सं० नर्मदेश्वर चतुर्वेदी+प्रकाशित (परिमल प्रकाशन
प्रयाग-2) प्रथम सं० 1959 ई० । अब 1459 में 10 वीं बृहस्पतिवार ज्येष्ठ वदी की कोई रचना है तो 'लखमसेन पद्मावती' के उल्लेख के बाद इसी स्तम्भ में लिखी जायगी। पहले विक्रम संवत्, तब रचनातिथि, ग्रन्थ का नाम, रचयिता का नाम तथा अन्य आवश्यक सूचनाएँ देकर नये प्रघट्रक से पुष्प या तारक ( * ) लगा कर सन्दर्भ सूचना दे दी जानी चाहिये ।
प्रत्येक पांडुलिपि विज्ञानार्थी अपने-अपने लिए ये कालक्रम तालिकाएँ बना मकते हैं, पर आवश्यकता इस बात की है कि The Chronology of Indian History की तरह समस्त पांडुलिपियों की 'कालक्रम तालिका' प्रस्तुत कर दी जाय । साथ ही दांयी ओर इतना स्थान छूटा रहे कि पांडुलिपियों के प्रकाशन की सूचना यथा समय भर दी जाय, यथा : ऊपर (+) चिह्न के साथ प्रकाशन सूचना दी गयी है।
अध्ययन को, विशेष दृष्टि से उपयोगी बनाने के लिए, ऐसी सूचियां भी प्रस्तुत करनी होंगी जैसी डबल्यू० एम० कल्लेवाइर्ट (W.M. Callewaert) ने बेल्जियम के 'मोरियंटेलिया लोवनीनसिया पीरियोडिका' के 1973 के अंक में प्रकाशित करायी है और शीर्षक दिया है "सर्च फॉर मैन्युस्क्रिप्टस् प्रॉव द दादूपन्थी लिटरेचर इन राजस्थान"! अर्थात् राजस्थान में दादूपंथी साहित्य के हस्तलेखों की खोज हुई।
___इस 12 पृष्ठ के निबन्ध में छोटी-सी भूमिका में उन्होंने यह बताया है कि 'सबसे पहले स्वामी मंगलदास जी ने 77 दादूपन्थी लेखकों की व्यवस्थित सूची प्रस्तुत की जिसमें लेखकों के नाम, उनकी कृतियाँ और सम्भावित रचना-काल दिया। फिर भी बहुत-से दादुपन्थी लेखकों के बहत-से हस्तलिखित ग्रन्थ अभी तक सूचीबद्ध नहीं हए हैं। तब लेखक ने यह बताया है कि
"इन पृष्ठों में राजस्थान, दिल्ली और वाराणसी में पांच महीने की अवधि में उन्होंने जो शोध की उसके परिणाम दिये गये हैं। लेखक ने यह बात पहले ही स्पष्ट कर दी है कि
1. Callewaert, W.M.--Search for Manuscripts of the Dadu Panthi Literature in
Rajasthan, Orientalia Lovaniensia Periodica (1973-74),
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