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पाण्डुलिपियों के प्रकार/169
(ख) किसी रचना का बाद में मिला हुआ कोई अंश भी इनमें लिखा जाता
था, भले ही ऐसा कम ही किया जाता था। (ग) ग्रन्थ में जिस कवि/लेखक की रचना लिपिबद्ध होती थी, प्रायः उसकी __ कोई अन्य रचना बाद में मिलती थी तो वह इन पन्नों में लिखी
जाती थी। शिलालेख :प्रकार
ग्रन्थों के बाद हस्तलेखों की दृष्टि से शिलालेखों का स्थान प्राता है । शिलालेख भी कितने ही प्रकार के माने जा सकते हैं :1. पर्वतांश पर लेख (पर्वत में लेखन-योग्य स्थान देखकर उसे ही लेखन-योग्य बनाकर
शिला-लेख प्रस्तुत किया जाता है ।) ये शिला-लेख एक स्थान से दूसरे स्थान पर
नहीं ले जाये जा सकते। 2. गुफाओं में पर्वतांश पर खुदे शिला-लेख । ये भी अन्यत्र नहीं ले जाये जा सकते । 3. पर्वत से शिलाएँ काटकर उन पर अंकित लेख । ये शिलाएँ एक स्थान से दूसरे
स्थान पर ले जायी जा सकती हैं। स्तम्भों या लाटों पर लेख । वरिणत विषय के आधार पर इन लेखों के कई भेद किए जा सकते हैं : 1. राजकीय आदेश विषयक शिला-लेख, 2. दान विषयक शिला-लेख, 3. किसी स्थान निर्माण के अभिप्राय तथा काल के द्योतक शिला-लेख, तथा . 4. किसी विशेष घटना के स्मरण-लेख ।
शिला-लेख सभी खुदे हुए होते हैं, किन्तु कुछ में खुदे अक्षरों में कोई काला पत्थर या सीसा (lead) या अन्य कोई पदार्थ-मसाला भरकर लेख प्रस्तुत किये जाते हैं । ऐसा विशेषतः संगमरमर पर खुदे अक्षरों में किया जाता है।
ये सभी इतिहास की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होते हैं । पर्वतीय शिला-लेख अचल होते हैं, अतः इन शिला-लेखों की छापें पाण्डुलिपि-यालय में रखी जाती हैं । जो शिला-लेख उठाये जा सकते हैं, वे मूल में ही ले जाकर हस्तलेखागार या पाण्डुलिपि-यालय में रखे जाते हैं।
छाप लेना : इनकी छाप लेने की प्रक्रिया यहाँ दी जाती है। यह पं० उदयशंकर शास्त्री के लेख से उद्धृत की जा रही है। . प्रारम्भ में इन शिलालेखों को पढ़ने के लिये अक्षरों को देखकर उनकी नकलें तयार की जाती थीं और फिर उन्हें पढ़ने का कार्य किया जाता था । इस पद्धति से अक्षर का परा स्वरूप पाठक के सामने नहीं आ पाता था, और इसीलिये कभी-कभी भ्रम भी हो जाया करता था । कभी-कभी परिस प्लास्टर की सहायता से भी छाएँ (Estampage) तैयार की गई, पर उनमें अक्षर की पूरी प्राकृति उभर नहीं पाती थी। अक्षर की पूरी गोलाई, मोटाई, उसके घुमाव, फिराव के लिये यह आवश्यक है कि जिस स्थान (शिला अथवा ताम्रपट्ट) पर वह उत्कीर्ण हो उस पर छाप ली जाने वाली चीज पूरी तरह से
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