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192, पाण्डुलिपि-विज्ञान
ध्वनि 'स्टार' के लिए भी प्रयोग में आ सकेगा और परसर्ग रूप में गैंगस्टर (gangster) में गैंग के साथ भी जुड़ जायेगा।
अब स्थिति यह हो गयी कि___वस्तु → वस्तु-चित्र → चित्रलिपि → भावचित्रलिपि → चित्र शब्दित → शब्दात्मक चित्र → शब्द-प्रतीक → ध्वनिवर्ती शब्द-प्रतीक ।
ध्वनिवर्ती शब्द-प्रतीक वाली लिपि में शब्दों की ध्वनि से उनमें 'मोरफीम' का ज्ञान होने लगता है तथा इन मारफीमों के अनुसार लिपि-प्रतीकों में विकार हो जाता है । यहाँ आकर वह प्रक्रिया जग उठती है जो शब्द प्रतीकों की ध्वनिमूलक वर्णमाला की ओर जाने में प्रवृत्त करती है । 'स्टार' में एक मोरफीम है अतः शब्द-प्रतीक ज्यों का त्यों रहेगा । पर बहुवचन 'स्टार्स' में 'स' मोरफीम बढ़ा, अतः कोई विकार 'स्टार' मारफीम में 'स' का द्योतन करने के लिए बढ़ाना पड़ेगा । 'स' यहाँ मोरफीम भी है और एक वर्णात्मक अकेली ध्वनि भी । ऐ-ली-फेंट में तीन मोरफीम हैं अतः शब्दलिपि भी तीन योग दिखाने लगेगी। इसीलिए इस अवस्था पर पहुँच कर ध्वनिवर्ती शब्द-प्रतीक, प्रतीक में ध्वनि-द्योतक चिह्नों को नियोजित करने का प्रयत्न करेगा-ध्वनिवर्ती शब्द-प्रतीक → ध्वनिवर्ती शब्द प्रतीकगत ध्वनि-प्रतीक - ध्वनि-प्रतीक अक्षर → ध्वनि-प्रतीक वर्ण । चित्रलिपि से वर्णात्मक लिपि तक के विकास का यह क्रम सम्भावित है और स्थूल है।
विद्वानों ने Pictorial Art से Pictograph, Pictograph से Ideograph, Ideograph से logograph तक का विकास तो स्थूलतः ठीक अथवा सहज माना है। उससे आगे ध्वनि की ओर लिपि का संक्रमण उतना स्वाभाविक नहीं। कुछ विद्वानों की राय में यह सम्भव भी नहीं।
पाण्डुलिपि-विज्ञान की दृष्टि से तो वे प्रक्रियाएँ ही महत्त्वपूर्ण हैं, जिनसे ये विकार होते हैं और लिपि का विकास होता है। यह भी ध्यान में रखने की बात है कि हमने विकास-प्रक्रिया में जहाँ → (तीर) दिया है, वहाँ बीच में और भी कई विकास-चरण हो सकते हैं । मोहनजोदड़ों की-सी स्थिति भी हो सकती है जिसमें चित्रलिपि और ध्वनिलिपि दोनों ही प्रयुक्त हों। यह भी ध्यान देने योग्य है कि जब 'स्टार' से 'स्टार्स' तक भाषा पहुँचती हैं, तब ‘एक और बहुत' का भेद करने की शक्ति उसमें आ जाती है। साथ ही शब्दों में चिह्नों द्वारा अन्य सम्बन्धों को बताने की क्षमता भी आ जानी चाहिये । व्यंजन और स्वरों के भेद अक्षरात्मक लिपि में प्रस्तुत होने लगते हैं। .. ... शब्द चिह्नों से व्याकरण-सम्बन्धों को जानने के लिए डॉ० पण्डित का निम्न उद्धरण एक सिद्धान्त प्रस्तुत करता है :
सम्भवतः एक या अधिक मोरफीनों (morphemes) से बने शब्द संकेत-चिह्नों की संख्याओं के आधार पर सबसे अधिक प्रयुक्त समुच्चय हैं । कोई चाहे तो प्रत्यय उपसर्गपरसर्ग आदि को भी उनके स्थान और वितरण के आवर्तन से ढूंढ़ सकता है। मान लीजिए नीचे दिये सोलह वाक्यों में से वर्णमाला का प्रत्येक वर्ण एक मोरफीम है तो इस भाषा के व्याकरण के सम्बन्ध में कोई क्या बता सकता है (तब भी जबकि वाक्यों के अर्थ विदित
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