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170/पाण्डुलिपि-विज्ञान
चिपक सके । इसके लिये अब सबसे सुविधाजनक कागज उपलब्ध है, जिसे भारत सरकार जूनागढ़ से मंगवाती है। लेख वाले स्थान को पहिले साफ पानी से अच्छी तरह धोकर साफ कर लेना चाहिये ताकि अक्षरों में धूल, मिट्टी या और किसी तरह की कोई चीज भरी न रह जाये। फिर कागज को पानी में अच्छी तरह भिगोकर चिपका देना चाहिये, फिर उसे मुलायम ब्रश से पीटना चाहिये, जिससे अक्षरों में कागज अच्छी तरह चिपक , जाये । उसके बाद एक कपड़ा भिगोकर कागज के ऊपर लगादें और उसे कड़े ब्रश से पीटपीट कर कागज को और चिपका दें। इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि लेख पर कागज चिपकाते समय लेख और कागज के बीच में बुलबुले (Bubbles) न उठने पावें, और यदि उठ जायें तो उन्हें ब्रश से पीट-पीटकर किनारे पर कर देना चाहिए अन्यथा अक्षर पर कागज ठीक चिपक न सकेगा। पीटते समय यदि कहीं से कागज फट जाये तो उसके ऊपर तुरन्त ही कागज का दूसरा टुकड़ा भिगोकर लगा देना चाहिये । थोड़ा पीट देने से कागज पहले वाले कागज में अच्छी तरह चिपक जायेगा । जब कागज अच्छी तरह से अक्षरों में घुस जाये तब ऊपर का कपड़ा उतार कर मुलायम ब्रुश से फिर इधर-उधर उठ गई फुटकियों को सुधार लेना चाहिये । अब थोड़ी देर तक कागज को हवा लगने छोड़ देना चाहिये जिससे कि कागज सूख जाये । फिर एक तश्तरी में कालिख (Black Japan) घोल कर डैबर की सहायता से लेख की पंक्तियों पर क्रमशः लगा देना चाहिये । यह ध्यान रखना चाहिये कि किसी पंक्ति पर धब्बा न आने पाये अन्यथा अक्षर धुधला पड़ जायेगा और उसकी आकृति स्पष्ट न हो सकेगी, कागज पर जब रोशनाई ठीक से लग जाये तब उसे सावधानी से उतार कर सुखा लेना चाहिये । आजकल कालिख को घोल कर लगाने के बजाय कोई-कोई सूखा ही लगाते हैं। पर उससे छाप (Estampage) में वह चमक नहीं आ पाती जो गीले काजल में आती है।
. यह पद्धति उन लेखों के लिए है जो गहरे खोदे हुए होते हैं, पर उर्दू आदि के उभरे हुए लेखों के लिए अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है अन्यथा कागज फट जाने की बहुत सम्भावना रहती है।
साधारणतया छाप तैयार करने के लिए यह मामग्री अपेक्षित होती है1. तिरछे लम्बे ब्रुश (Bent bar Brush) 2 । 2. एक गज सफेद हल्का कपड़ा। 3. स्याही घोलने के लिये तश्तरी। 4. एक डंबर (Dabbar) स्याही मिलाने के लिये। 5. एक डैबर बड़ा (लेख पर स्याही लगाने के लिये)। 6. जूनागढ़ी कागज (इसके अभाव में भी छाप लेने का काम मामूली कागज से
लिया जा सकता है, पर कागज चिकना कम होना चाहिये)। 7. चाक । 8. नापने के लिये कपड़े का फीता या लोहे का फुटा (यदि यह सब सामान एक
छोटे सन्दूक में रखा जा सके तो यात्रा में सुविधा रहेगी) भारतीय लिपियों व शिला-लेखों का अनुसन्धान करने वालों को अग्रलिखित साहित्य देखना चाहिये
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