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पाण्डुलिपियों के प्रकार/171
एपिग्राफिया इंडिका । एपिग्राफिया इंडोमुसोलोमिका । एपिग्राफिया करनाटिका । इंडिशेपैलियोग्राफी, जार्ज ब्यूलर । इंडियन एण्टिक्वरी।
‘ए थ्योरी प्रॉफ प्रोरिजिन ऑव दी नागरी अल्फाबेट' शामा शास्त्री का लेख, इंडियन एण्टीक्वरी,
___ मा० 25, पृ० 253-321 । पेलियोग्राफिक नोट्स, भंडारकर अभिनन्दन ग्रन्थ में विष्णु सीताराम सुकथनकर का लेख
पृ० 309-322 । आउटलाइन्स प्रॉव पैलियोग्राफी, एच० आर० कापड़िया का लेख, जर्नल मॉव द यूनिवर्सिटी प्रॉव बाम्बे, आर्ट एण्ड लेटर्स सं० 12, जि० 6 सन् 1938, पृ० 87-110 ।
ए डिटेल्ड एक्सपोजिशन ऑफ दी नागरी, गुजराती एण्ड मोडी स्क्रिप्टस, एच० आर० कापडिया का लेख, भंडारकर अोरियण्टल रिसर्च इन्स्टीच्यूट की पत्रिका
भा० 19, 3 (1938) पृ० 386-418 । जैन-चित्र-कल्पद्रुम, भूमिका, मुनि पुण्य विजयजी ।
अहमदाबाद । भारतीय प्राचीन लिपिमाला, म० म० पंडित गौरीशंकर हीराचन्द अोझा
अजमेर। ओरिजन व दी बंगाली स्क्रिप्ट, राखालदास वन्द्योपाध्याय कलकत्ता। इंडियन पेलियोग्राफी, भाग-1, डॉ० राजबली पाण्डेय
काशी। दी अल्फावेट, डी० डिरिंगर
लंडन । हिन्दी विश्व कोश (श्री नगेन्द्रनाथ वसु रचित) का 'अक्षर' शब्द कलकत्ता। अशोक इंस्कृप्शनम इंडिकेरूम, हुल्श,
लंडन । अशोक इंस्कृप्शनम इंडिकेरूम, कनिंघम
कलकत्ता। गुप्त इंस्कृप्शनम, जे० एफ० फ्लीट..
कलकत्ता। अशोक की धर्मलिपियां, अोझा, श्यामसुन्दर दास
काशी। प्रियदर्शी प्रशस्तयः, म०म० रामावतार शर्मा
पटना। सेलेक्ट इंस्कृप्शन्स, डी० सी० सरकार
कलकत्ता। कलचुरी इंस्कृप्शन्स, वी०वी० मिराशी
उटकमण्डप क : अन्य प्रकार के लेख :
ताम्र, रोण्य, सुवर्ण, कांस्य आदि के पत्र भी ऐसे ही कामों में पाते हैं जैसे शिलालेख आते हैं । ये धातुपत्र एक विशेष उपयोग में भी लाये जाते हैं। वह है किसी के सम्मान में 'प्रशस्ति' लेखन । यह प्रथा तो अाधुनिक युग में भी प्रचलित है। कई संस्थानों ने विशिष्ट व्यक्तियों के सम्मान में उनकी यशःप्रशस्ति खुदवाकर ताम्रपत्रादि भेंट किये हैं। 1. शास्त्री. उदयशंकर (पं०)-थिला-खेखा और उनका वाचन, भारतीय साहित्य (जनवरी, 1959),
पृ. 132-1341
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