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124 पाण्डुलिपि-विज्ञान
तब उन्होंने सूची से पूर्व ही उन स्रोतों का विवरण और दे दिया है, जिनसे दादूपंथी साहित्य का पता चल सकता है।
___ अब सूची में उन्होंने पहले बायीं ओर लेखक या कवि का नाम दिया है, उसके साथ कोष्ठक में उसका अस्तित्व-काल दिया है और उसके सामने दांयें छोर पर भक्तमाल (राघवदास कृत) का उल्लेख उसकी उन पृष्ठों की संख्या सहित किया है, जिन पर इस कवि का विवरण है। जिन कवियों का उल्लेख उक्त भक्तमाल में नहीं है, उनके आगे यह संकेत नहीं किया गया ।
इस नामद्योतक पंक्ति के नीचे भिन्न टाइप में 'पुस्तक' या पांडुलिपि का नाम, उसके आगे संक्षेप में छन्दों की गणना और यदि रचनाकाल उसमें है तो उसका उल्लेख । उसके नीचे संकेताक्षरों में उन संग्रहों का उल्लेख है, जिनमें यह ग्रंथ मिलता है। कोई अन्य ज्ञातव्य उसी के साथ कोष्ठक में दिया गया है ।
इस सूची की रूपरेखा की कुछ विशिष्ट बातें केवल निर्देशनार्थ ही दी गयी हैं। पांडुलिपि-विज्ञानार्थी ऐसी सूचियाँ बनाते समय यह ध्यान में रखेगा ही कि सूची अधिकाधिक वैज्ञानिक और उपयोगी बने। इसी दिशा-निर्देशन की दृष्टि से यहाँ इस सूची का एक उद्धरण देना भी समीचीन प्रतीत होता है : Jagannathal
Bh. M. p. 732-733. Gunagan ja nama (anthology of selections from 162 poets) DM 2, p. 521-536 (1676); 14 b, p. 1-216; 17, p. 329-4.50; 10c; 14 b; NP 2521/1476, p. 1-48; p. 2520/1475, p. 1-20; NAR 3/11; 4 p. 316 ff; 72; 13/83; 23/10 (1761); VB 154/6; KT 500/SD. Mohamad raja ki Katha VB 34, p. 575-79 (1653); DM 2, p. 329-332 (1676); 24, p. 376382; 18. p. 465 ff; 20. p. 401-406; 14, p. 78-84; cp. 2987/4%; 3028/12; 3657/6; 3714/3; KT 148 (1675-1705); 399, p. 5-82; 495; 303; VB 4, p. 483-496; 74 p. 521-526, 8, p. 271-281; NAR 2/3; 19/14; 23/34; 29/21; PV 163; 588; 751; 664; NP 2346/ 1400. p. 56-68 has this word under the name of Jan Gopal. See the note in NPVI, p. 254 on the different names of Jangopal. Dattatrey ke 25 guruo ki lila VB 14. p. 154-162; KT 205%; p. 65-74 (1653), see also Jangopat's work.
Dohe--VB 4, pussiny; KT 477; AB 78, p. 148-160.
Pada---VB 12. p. 20 (1684); KT, 331, 352, 122, 469; 560, 154, 240, 311.
The (complete ?) works of Jagannath are found in DM .., p. 1b59; I, p. 429-557; NAR MG. p. 201-283. NP VI, p. 322.
1. Callewaert, W. M.--Search for Manuscripts of the Dadu-Panthi Literature in
Rajasthan, Orientalia Lovaniensia Periodica (1973-74), p. 160.
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