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पाण्डुलिपियों के प्रकार/137
नालन्दा की मृण्मय मुहर
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मोहनजोदड़ों से प्राप्त मुहर
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10. सीप, शंख, दांत, काष्ठ प्रादि-शंखों पर, हाथीदांत की बनी मुद्राओं पर, लकड़ी की लाटों या स्तम्भों पर भी अंकित लेख मिले हैं ।
धातु-वस्तु--धातुओं में ताँबा सबसे अधिक प्रिय रहा है। इसके बने पत्रों पर उत्कीर्ण लेख पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं और प्राचीन समय से मिलते हैं। कोई शासन ताम्रपत्र के एक ओर, कोई दोनों ओर लिखा होता था । कोई शासन कई ताम्रपत्रों पर लिखा जाता था। इन पत्रों को तांबे के कड़े में पिरोकर एक घट या किसी पात्र में बन्द करके सुरक्षित रखा जाता था । ताम्रपत्रों पर कई प्रकार के लेख मिलते हैं :
ताम्र वस्तु
पत्र रूप
मूर्ति
| प्रशस्ति
अन्य ताम्र वस्तुएँ, यथा-चमचे
पर (तक्षशिला), दीपक यन्त्र पर (दीपक : जमालगढ़ में)
कढ़ाही पर, आदि ।
शासन हनसांग ने बताया है कि कनिष्क ने बौद्ध-धर्म-ग्रंथ ताम्रपत्रों पर अंकित कराये। एक अनुश्रुति है कि सायण की वेदों की टीका ताम्रपत्रों पर अंकित करायी गयी थी।
तेलुगु में रचित 'ताल्लपा कमवरी' कई ताम्रपत्रों पर खचित तिरुपती में सुरक्षित हैं ।
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