________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Ach
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
पांडुलिपि-प्राप्ति और तत्सम्बन्धित प्रयत्न : क्षेत्रीय अनुसन्धान / 103
(2) कवि चंद रचिन ग्रन्थ-भागवत् दोहासूची ग्रन्थ ।
रचनाकाल-सं० 1896 (नरसिंह चौदस को पूर्ण हुई)। पुस्तक विवरण--
जिल्द की सिली हुई, दायें-बायें हाशिया, 10.6 इंच, कुछ जीर्ण, देशी कागज । फोलियो सं० 32 । कुछ दो-तीन पृष्ठ खाली हैं । दसम स्कंध रंगीन हाशियों में लिखा है। लिपिकाल--
इसमें लिपिकार का नाम तथा काल नहीं दिया है। ऐसा विदित होता है कि यह स्वयं कवि की ही लिखी पहली प्रति है । एक ओर का पुट्ठा नहीं है । लेख सामान्य रूप में सुपाठ्य है। विवरण
यह पुस्तक कवि चन्द रचित है । यह कवि चन्द वाघ नृपति के पुत्र हैं। यह पूर्ण श्रीमद्भागवत् श्रीधरी टीका की दोहों में सूची है। कवि ने एक-एक दोहे में एक-एक अध्याय का अर्थ लिखा है, इस प्रकार से सभी स्कंधों के अध्यायों की दोहे में सूची है। इतने बड़े अध्याय की दोहे में सूची बनाना कठिन कार्य है। चन्द कवि ने इसमें सफलता पाई है। भाषा ब्रजभाषा है । धर्म की दृष्टि से कवि का यह प्रयास विशेष महत्त्व रखता है । पुस्तक विभिन्न स्कधों में विभाजित है । दसम स्कंध कवि ने सं० 1805 असाड़ बु० पडवा गुरु को समाप्त किया । द्वादस स्कंध सं० 1896 नरसिंह चौदस को समाप्त हमा।
कवि ने अपने परिचय में केवल निम्न पंक्तियाँ लिखी हैं---
इतिश्री भागवते महापुराणं श्री धरी टीकानुसारणं 12 स्कंधे सूची सम्पूर्ण महाराज श्री बाघ सिंह जी फतेहगढ़ नृपत सुतचन्द कथक्तत दोहा समाप्तं ।
कवि ने प्रारम्भ में वल्लभाचार्य, विट्ठलनाथ जी और उनके पुत्र की गुरु के रूप में वंदना की है । पुष्टि मार्ग की महानता भी बताई है ।
उदाहरण
दसवीं अध्याय दिलीप रा रामचन्द्र अवतार । रावण हत पाए अवधि ताकै कैज सहै भार । भ्रातन जुत श्री रामचन्द्र जिग कीयि अवध विराज । ग्यारीध्या मण्डल कथा विरची सुक सुभ साज ।
इक-इक दोहा में लिख्यो इक ईकध्या कौर्थ । सूची द्वादसकंध की स्मजन बुध असमर्थ । बाघ नपत सुत चन्द कृत दुहा सूची मांन ।
को विद वाज विचार कर सुध कीज्यो बुधवान । टिप्पणी-अन्तिम पृष्ठ में जगदीश पण्डे के सम्बन्ध में लिखा है ।
(3) कवि चंद (घ) रचना--अभिलाष पच्चीसी
For Private and Personal Use Only