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94/पाण्डुलिपि-विज्ञान
धर्म
7. यह सूचना भी देनी होती है कि--- (1) ऐसे लेखक कितने हैं जो अब तक अज्ञात थे। उनकी अज्ञात कृतियों की
संख्या । (2) ज्ञात लेखकों को अज्ञात कृतियों की संख्या तथा नयी उपलब्धियों का
कुल योग । डॉ० हीरालाल, डी० लिट०, एम० आर० ए० एस० ने त्रयोदश त्रैवार्षिक विवरण (सन् 1926-1928 ई०) की विवरणिका में प्राप्त ग्रन्थों का विषयानुसार वर्गीकरण यों दिया था : "हस्तलेखों के विषय : हस्तलेखों के विषय का विवरण निम्नलिखित हैं :
358 हस्तलेख दर्शन
114 , पिंगल अलंकार श्रृंगार राग रागिनी नाटक जीवन चारित्र उपदेश राजनीतिक कोश ज्योतिष सामुद्रिक गणित व विज्ञान वैद्यक शालिहोत्र कोक इतिहास कथा-कहानी विविध
जोड़
1279 हस्तलेख"
8. मेनारिया जी और डॉ. हीरालाल जी दोनों के वर्गीकरण सदोष हैं, पर इनसे प्राप्त ग्रन्थ सम्पत्ति के वर्गों का कुछ ज्ञान तो हो ही जाता है । किन्तु पांडुलिपिविद को अपनी सामग्री का अधिक से अधिक वैज्ञानिक वर्गीकरण प्रस्तुत करना चाहिए, अन्यथा पुस्तकालय विज्ञान में दिये वर्गीकरण का सिद्धान्त ही अपना लेना चाहिये ।
9. नयी उपलब्धियों का कुछ विशेष विवरणा, उनके महत्त्व के मूल्यांकन की दृष्टि से :
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