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निरुक्त कोश
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गच्छन्तमनुगच्छतीत्यनुगामिकः ।
(सूटी २ प ६१) जो चलने वाले का अनुगमन करता है, वह अनुगामिक है। ६३. अणुग्गह (अनुग्रह) अनुगृह्यते इति अनुग्रहः ।
(व्यभा २ टी प १०) अनुग्रहण/अभीष्ट सम्पादन करना अनुग्रह है। ६४. अणुजुत्ति (अनुयुक्ति) अनुयुज्यते इति अनुयुक्तिः । अनुगता अनुयुक्ता वा युक्तिः अनुयुक्तिः ।
(सूचू १ पृ.६३) अनुयोजन करना अनुयुक्ति है। अनुरूपा युक्तिः अनुयुक्तिः ।
(सूचू १ पृ १९७) अनुरूप कथन करना अनुयुक्ति है । ६५. अणुजोग (अनुयोग) अणुणा जोगो अणुजोगो।
(बृभा १६०) __ अणु/सूत्र के साथ अर्थ का योजन अनुयोग है। जोगोत्ति वावारो जो सुत्तस्स सोऽणुरूवो अणुकूलो वा अनुयोगः ।
(अनुद्वाचू पृ ५) सूत्र के अनुरूप या अनुकूल योग/प्रवृत्ति करना अनुयोग है। ६६. अणुण्णा (अनुज्ञा) अनुज्ञायते वाऽनयेति अनुज्ञा ।
(नंटी पृ १७०) जिससे जाना जाता है, वह अनुज्ञा/गुरुवचन है। ६७. अणुतापि (अनुतापिन्)
अनु-पश्चात् हा दुष्ठुकृतं हा दुष्ठुकारितमित्यादिरूपेण तपति सन्तापमनुभवतीत्येवंशीलोऽनुतापी। (व्यभा ३ टी प ११०)
जो अनु/बाद में संताप का अनुभव करता है, वह अनुतापी है। ६८. अणुत्तर (अनुत्तर)
न विद्यन्ते उत्तराः प्रधानाः स्थितिप्रभावसुखयुतिलेश्यादिभिरेभ्योऽन्ये देवा इत्यनुत्तराः।
__(उशाटी प ७०२) जिनसे दूसरे देव उत्तर प्रधान नहीं हैं, वे अनुत्तर देव हैं ।
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