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निरक्त कोश
जिसका स्वाध्याय विकाल में भी किया जाता है, वह दशवकालिक (सूत्र) है। दस वि अज्झयणा निज्जू हिज्जंता विकाले निज्जूढा थोवावसेसे दिवसे तेण दसवेकालियं त्ति ।
(दअचू पृ ५) जिसके दस अध्ययनों का नि!हण करते करते विकाल हो गया, वह दशवैकालिक (सूत्र) है। ७८८. दसवेयालिय (दशवैतालिक)
दसमं वा वेतालियोपजातिवृत्तेहिं नियमितमज्झयणमिति दसवेतालियं ।
(दअचू पृ३) जिसका दसवां अध्ययन वैतालिक छंद में बनाया गया है,
वह दशवंतालिक/दशवैकालिक (सूत्र) है। '७८६. दस्सु (दस्यु) दंसंतीति दसुगाणि ।
(आचू पृ ३५६) जो दूसरों का विनाश करते हैं, वे दस्यु हैं। दसणेहि दंतेहिं दंसति तेण दसू। (निचू ४ पृ १२४)
जो दांतों से काटता है, वह दस्यु है । ७६०. दहण (दहन) दहतीति दहणो।
(आवचू १ पृ २६) जो जलता है, वह दहन/अग्नि है। ७६१. दाण (दान) ___ दोयत इति दानम् ।
(सूचू १ पृ १४८) जो दिया जाता है, वह दान है। ७६२. दाणीय (दानीय) दीयतेऽस्मै इति दानीयः।
(बृटो पृ २५६) जिसे दिया जाता है, वह दानीय/अतिथि है । १. दसति उपक्षणोति दस्युः । (अचि पृ ८६)
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