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निरुक्त कोश
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ब्रह्म अणतीति ब्राह्मणः ।
(सूचू २ पृ ३३५) जो ब्रह्म/आत्मा में रमण करता है, वह ब्राह्मण/मुनि है । ११२०. बंभण (ब्राह्मण)
ब्रह्मणोऽपत्यानि ब्राह्मणाः।
जो ब्रह्म की सन्तान हैं, वे ब्राह्मण हैं। बृहन्मनस्त्वाद्वा ब्राह्मणाः ।
(सूचू २ पृ ४४२) जिनका मन विशाल/उदार है, वे ब्राह्मण हैं । ११२१. बंभयारि (ब्रह्मचारिन्) ब्रह्मण ब्रह्म वा चर्य चरतीति ब्रह्मचारी। (उचू पृ २०७)
जो ब्रह्म/संयम का आचरण करता है, वह ब्रह्मचारी है। ११२२. बंभव (ब्रह्मवित्) ब्रह्म -अशेषमलकलङ्कविकलं योगिशर्म वेत्तीति ब्रह्मवित् । ।
(आटी प १५३) जो ब्रह्म शाश्वत सुख को जानता है, वह ब्रह्मवित् है । ११२३. बहिद्ध (दे) धर्माद् बहिर्भवतीति बहिद्धं ।
(सूचू १ पृ १७७) जो धर्म से बहिर्भूत है, वह बहिद्ध/मैथुन है । ११२४. बहुरय (बहुरत)
बहुषु समयेषु रता-आसक्ता बहुभिरेव समयैः कार्य निष्पद्यते नैकसमयेनेत्येवंविधवादिनो बहुरताः। (औटी पृ २०१) ____जो बहुत समयों/क्षणों में कार्य की निष्पत्ति मानते हैं, वे
बहुरतवादी हैं। ११२५. बाल (बाल) द्वाभ्यां कलितो बालः,' कार्याकार्यानभिज्ञो वा बालः।
(दश्रुचू प ३) १. जमाली (ई० पू० छठी) का बहुचर्चित सिद्धान्त । २. द्वाभ्यां-बुभुक्षया तृषा वाऽऽगलितो बालः । (बृटी पृ ६४)
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