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निरक्त कोश
१३८६. विणअ (विनय) विनीयते-अपनीयते कर्म येन स विनयः ।।
(सूटी १ प २४२) जिसके द्वारा कर्मों का विनयन किया जाता है, वह विनय
विशिष्टो विविधो वा नयो विनयः। (उशाटी प १६)
जो विशिष्ट एवं विविध प्रकार का नय/नीति है, वह विनय
१३८७. विणयन्नु (विनयज्ञ) विनयो ज्ञानदर्शनचारित्रौपचारिकरूपस्तं जानातीति विनयज्ञः ।
(आटी प १३१) जो विनय को जानता है, वह विनयज्ञ है। १३८८. विणिच्चय (विनिश्चय)
विशेषेण निश्चयो विनिश्चयः ।
विशेष निश्चय विनिश्चय है। निराधिक्ये चयनं चयः-पिण्डीभवनं अधिकश्चयो निश्चयः ।
(अनुद्वामटी प २४५) जिसमें चय/उपचय अधिक होता है, वह निश्चय/विनिश्चय
१३८९. विणीय (विनीत)
विशेषेण नीतः-प्रापितः प्रेरकचित्तानुवर्तनादिभिः श्लाघादिति विनीतः।
(उशाटी प ४६) जो विशेष रूप से प्रेरक के चित्तानुकूल वर्तन कर प्रशंसा प्राप्त करता है, वह विनीत है । १. "विनय' का अन्य निरुक्तविशेषेण नयतीति विनयः ।
(शब्द ४ पृ ४०१) जो विशिष्टता की ओर ले जाता है, वह विनय है । २. विनीत' का अन्य निरुक्त
शास्त्रादिना विनीयते स्म विनीतः । (अचि पृ.६६)
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