Book Title: Nirukta Kosh
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 397
________________ ३६६ निरुक्त कोश माता देवी ने स्वप्न में अतिसुंदर, अतिविशाल रत्नमय अर/चक्र देखा, अतः शिशु का नाम रखा 'अर' (१८ वें तीर्थंकर)। सर्वोत्तमे महासत्त्व कुले य उपजायते । तस्याभिवृद्धये वृद्धैरसावर उदाहृतः ॥ (आवहाटी २ पृ १०) ___ जो सर्वोत्तम और महान् शक्तिशाली कुल में उत्पन्न हो वृद्धि करता है, वह अर है। १९. मल्लि (मल्लि) वरसुरहिमल्लसयणंमि डोहलो तेण होइ मल्लिजिणो । (आवनि १०८६) माता प्रभावती को सदा सुरभित पुष्पमाला की शय्या का दोहद उत्पन्न हुआ, इसलिए अपनी पुत्री का नामकरण कियामल्लि (१६ वें तीर्थकर)। सव्वेहिपि परीसहमल्लरागदोसा य णिहयत्ति । (आवहाटी २ पृ १०) जो परीसह तथा राग-द्वेष आदि मल्लों को जीतता है, वह मल्लि है। २०. मुणिसुव्वय (मुनिसुव्रत) जाया जणणी जं सुव्वयत्ति मुणिसुव्वओ तम्हा । (आवनि १०८६) जिनके गर्भ में आने पर माता-पिता (पद्मा, सुमित्र) सुव्रती बने, उनका नाम रखा गया मुनि सुव्रत, (२०वें तीर्थंकर) । मन्यते जगतस्त्रिकालावस्थामिति मुनिः, तथा शोभनानि वतान्यस्येति सुव्रतः, मुनिश्चासौ सुव्रतश्चेति मुनि सुव्रतः । सव्वे सुमुणियसव्वभावा सुव्वया यत्ति । (आवहाटी २ पृ १०) जो त्रैकालिक अवस्थाओं को जानता है और सुंदर व्रतों से परिपूर्ण है, वह मुनि सुव्रत है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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