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निरक्त कोश
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जब वे गर्भ में आये, तब माता सुव्रता और पिता भानु श्रावक धर्म में विशेष रूप से उपस्थित हुए, इसलिए उनका नाम रखा-धर्मजिन। दुर्गतौ प्रपतन्तं सत्त्वसङ्घातं धारयतीति धर्मः।
(आवहाटी २ पृ १०) __ जो दुर्गति में गिरते हुए प्राणियों को धारण करता है, वह
धर्म है। १६. संति (शान्ति) जाओ असिवोवसमो गब्भगए तेण संति जिणो। (आवनि १०८७)
जिनके गर्भ में आने पर सर्वत्र व्याप्त अशिव/महामारी का प्रकोप शांत हो गया, उनका अभिधान हआ-शांतिजिन (सोलहवें तीर्थंकर)। शान्तियोगात् तदात्मकत्वात् तत्कर्तृत्वाद् वा शान्तिः ।
(आवहटी २ पृ १०) जो शांति सुख प्रदान करता है, वह शांति है । १७. कुंथु (कुन्थु) थूह रयणविचित्तं कुंथु सुमिणमि तेण कुंथु जिणो।'
__ (आवनि १०८८) ____ गर्भवती माता श्री देवी ने स्वप्न में कु/भूमि पर स्थित थु/रत्नों का विशाल स्तूप देखा, इसलिए बालक का नामकरण हुआ 'कुंथु' (१७ वें तीर्थंकर) कुः पृथ्वी तस्यां स्थितवानिति कुस्थः। (आवहाटी २ पृ १०)
___ जो कु/पृथ्वी पर स्थित है, वह कुस्थ कुंथु है । १८. अर (अर) सुमिणे अरं महरिहं पासइ जणणी अरो तम्हा ।
- (आवनि १०८८) १. माताए थूमो सव्वरतणामतो सुविणे विट्ठो भूमित्थो तेण कुंथू ।
(आवचू २ पृ ११)
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