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पश्यति सर्वभावानिति पार्श्वः पश्यक् इति चान्ये । सव्वेऽवि भावाणं जाणगा पासगा यत्ति पासा ।
है ।
२४. वद्धमाण ( वर्द्धमान )
( आवहाटी २११ )
जो सब भावों की पश्यना / परिज्ञान करता है, वह पार्श्व
निरुक्त कोश
वढइ नायकुलंति अ तेण वद्धमाणुत्ति ।
( आवनि १०९१ )
भगवान् जब त्रिशला के गर्भ में आये, तब ज्ञातकुल में धनसंपदा की अतिशय वृद्धि हुई, अत: उनका नाम वर्धमान / महावीर रखा गया । ( २४ वें तीर्थंकर) ।
उत्पत्तेरारभ्य ज्ञानादिभिर्वर्धत इति वर्धमानः । तत्थ सव्वेदि णाणादिगुणेह वढइति । ( आवहाटी २ पृ ११ )
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जन्म से लेकर जिसके ज्ञान आदि बढ़ते रहते हैं, वह वर्धमान है ।
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