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निरक्त कोश १५८६. समुद्दपाल (समुद्रपाल)
समुद्रेण पाल्यते स्मेति समुद्रपालः। (उशाटी प ४८२)
जो समुद्र में उत्पन्न है, पालित है, वह समुद्रपाल/श्रेष्ठिपुत्र
१५८७. समोयार (समवतार) समसंख्यावतारो समोतारो।
(अनुद्वाचू पृ २३) समसंख्या का अवतरण समवतार है। सम्मं समस्तं वा ओतारयतित्ति समोतारे। (अनुद्वाचू पृ २८८)
सम्यक् अवतरण समवतार है।
समस्त का अवतरण समवतार है। समवतरणं-वस्तूनां स्वपरोभयेष्वन्तर्भावचिन्तनं समवतारः।
(अनुद्वामटी प २२८) स्व, पर और उभय-सब में वस्तुओं का अन्तर्भाव करना
समवतार है। १५८८. सम्म (सम्यक्) समञ्चतीति वा सम्यक् ।
(पंटी प ७) जो सम/औचित्य को प्राप्त होता है, वह सम्यक् है । १५८६. सम्मत्तदंसि (सम्यक्त्वशिन्)
सम्म पस्संतीति सम्मत्तदंतिणो । (सूचू १ पृ १७२)
जो सम्यक् देखते हैं, वे सम्यक्दर्शी/सम्यक्त्वदर्शी हैं। १५६०. सयंगाह (स्वयंग्राह)
स्वयमात्मना गृहंतीति स्वयंग्राहाः। (व्यभा २ टी प ५)
जो स्वयं भिक्षा ग्रहण करते हैं, वे स्वयंग्राह/भिक्षुक हैं । १५६१. सयंभ (स्वयंभू) स्वयं भवतीति स्वयंभूः ।
(सूचू १ पृ ४१) जो स्वयं उत्पन्न होता है, वह स्वयंभू ब्रह्मा विष्णु/ईश्वर
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