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निरुक्त कोश
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जा सुन्दर समा/समय है, वह सुषमा/कालचक्र का एक भाग
१६६७. सुसाण (श्मशान) सवसयणं सुसाणं ।'
(आचू पृ ३१२) शवानां शयनं श्मशानम् ।
(आटी प २७०) जहां शव सुलाए जाते हैं, वह श्मशान है । १६६८. सुसीला (सुशीला) __ सुष्ठु शीलं-स्वभावो यस्याः सा सुशोला। (उशाटी प ४६०)
जिसका शील/स्वभाव सुन्दर है, वह सुशीला है। १६६६. सुस्सर (सुस्वर) सुखेन-अनायासेन स्वर्यते- उच्चार्यत इति सुस्वरः ।
(बृटी पृ ७३१) जिसके उच्चारण में आयास नहीं करना पड़ता, वह सुस्वर
१७००. सुहमोय (सुखमोच)
सुखेन मोच्यन्त इति सुखमोचाः । (बृटी पृ ७०८)
जिनका सुखपूर्वक मोचन त्याग किया जाता है, वे सुखमाच/
सुत्याज्य हैं। १७०१. सुहसाय (सुखशात)
सुखं-वैषयिकं शातयति-तद्गमनस्पृहानिवारणेनापनयतीति सुखशातः।
(उशाटी प ५८६) जो वैषयिक सुखों का शातन अपनयन विनाश करता है, वह सुखशात निस्पृह है। १. श्मशब्देन शवः प्रोक्तः शानं शयनमुच्यते । निर्वचन्ति श्मशानार्थं मुने ! शब्दार्थकोविदाः॥ (शब्द ५ पृ १४५) श्मान:-शवाः शेरतेऽत्र इति श्मशानम् । (आप्टे पृ १५७१)
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