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“निरुक्त कोश १६. अभूइभाव (अभूतिभाव) अभूतिभवणं अभूतिभावो।
(दअचू पृ २०६) भूति/ऋद्धि का नहीं होना अभूतिभाव/विनाश है । १७. अलंकार (अलङ्कार) अलंकरणं अलंकारः।
(दजिचू पृ ८०) जो अलंकृत करता है, वह अलंकार है। १८. अवग्गह (अवग्रह) अत्थाणं उग्गहणं अवग्गहो।
(विभा १७६) प्रथम दर्शन के पश्चात् अर्थ/पदार्थ का अवग्रहण अवग्रह/ मतिज्ञान का एक भेद है। १६. अवद्धंस (अपध्वंस) अपध्वंसनमपध्वंसः।
(स्थाटी प २६५) विनाश करना अपध्वंस है। २०. अहिलाव (अभिलाप) अभिलपनं अभिलापः।
(बृटी पृ ५) जिससे वस्तु का अभिलपन/कथन किया जाता है, वह
अभिलाप है । २१. आउज्ज (आवर्ज) आवर्जनं आवर्जः।
(प्रज्ञाटी प ६०४) अभिमुख होना/उपयोजन करना आवर्ज है। २२. आएस (आदेश) आदेशनमादेशः ।
(स्थाटी प २१६) अधिकृतरूप में कथन करना आदेश/आज्ञा है। २३. आगइ (आगति) आगमनमागतिः।
(स्थाटी प १६) कहीं से आना आगति है।
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