________________
३.३८
४१. ईहा ( ईहा )
४२. उक्कोय (उत्कोच) उत्कोचनं उत्कोचः ।
( आवहाटी १ पृ७)
हा | जानने में प्रवृत्त होना ईहा ( मतिज्ञान का एक भेद ) है |
घूस देना उत्कोच / रिश्वत है ।
४३. उग्गम ( उद्गम )
उद्गमनमुद्गमः ।
४४. उज्जोय ( उद्योत )
उद्योतनमुद्योतः ।
जो उद्गमन / उत्पत्ति स्थल है, वह उद्गम है ।
४५. उपेहा (उपेक्षा)
उपेक्षा ।
जो प्रकाशित करता है, वह उद्योत है ।
अन्यमनस्क होना उपेक्षा है ।
४६. उपाय ( उत्पात )
उत्पतनमुत्पातः ।
Jain Education International
४७. उम्मग्ग (उन्मार्ग )
उम्मग्गणं उम्मग्गो ।
ऊपर की ओर गति करना उत्पात है ।
४८. उवएस ( उपदेश )
उपदेशनमुपदेशः ।
( प्राक
४. उवओग (उपयोग ) उपयोजनमुपयोगः ।
जो उपदिष्ट होता है, वह उपदेश है ।
निरुक्त कोश
( ज्ञाटी प ८६ )
( प्रसाठी प १३७ )
For Private & Personal Use Only
जो उत् / ऊंचा मार्ग है, वह उन्मार्ग/श्रेष्ठ मार्ग है ।
टीपू ३३)
( सू २ पृ ३२४)
( स्थाटी प ४६१ )
( आचू पृ ११८ )
(नंचू पृ ४७ )
( अनुद्वामटी प १४ )
www.jainelibrary.org