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'निरक्त कोश १९८. सण्णा (संज्ञा) संज्ञानं संज्ञा।
(स्थाटी प २६७) __जानना/अभिलाषा करना संज्ञा/चैतन्य/जीव का परिणाम
विशेष है। १९९. सन्निवाय (सन्निपात) सन्निपतनं सन्निपातः।
(प्रसाटी प ३७१) अनेक वस्तुओं का मिलन सन्निपात है । २००. समवाय (समवाय) समवायणं समवायः।
(सूचू २ पृ ३१६) संयुक्त करना समवाय है। २०१. समायार (समाचार) समाचरणं समाचारः।
(आटी प ६३) जिसका समाचरण/व्यवहरण किया जाता है, वह समाचार/
समाचारी है। २०२. समास (समास) समसनं समासः।
(ओटी प ५) विभिन्न पदों को संयुक्त करना समास है । २०३. समाहि (समाधि) समाहाणं समाही।
(आचू पृ ३५७) चित्त का समाधान/सम्यक् स्थापन समाधि है । २०४. सवण (श्रवण) श्रवणं श्रुतम् ।
(प्राक १ टी पृ१०) सुनना श्रुत है। २०५. सवण्ण (सवर्ण) सवर्णनं सवर्णः।
(स्थाटी प ४७५) सदृश होना सवर्ण है।
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