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निरुक्त कोश
७४. खय (क्षय) क्षपणं क्षयः।
(उचू पृ १५५) क्षीण होना क्षय है। ७५. खाय (खाद) खादनं खादः।
(स्थाटी प १०३) जो खाया जाए, वह खाद/खाद्य है । ७६. खार (क्षार) क्षरणं क्षारः।
(स्थाटी प ४१०) क्षरण/विनाश होना क्षार है । ७७. गइ (गति) गमनं गतिः ।
(स्थाटी प ३२१) गमन करना गति है। ७८. गंथ (ग्रन्थ) गंथणं गंथो।
(आचू पृ ११८) जिसमें तत्त्व ग्रथित होते हैं, वह ग्रंथ है । ७६. गम (गम) गमनं गमः।
(आटी प १२३) गमन करना गम/गति है। ८०. गरिहा (गर्हा) गर्हणं गरे ।
(स्थाटी ४०) अनौचित्य की निन्दा करना गर्दा है। ८१. गुण (गुण) गुणणं गुणः।
(अनुद्वाचू पृ ७४) जिसका गुणन वृद्धि होती है, वह गुण है ।
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