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निरुक्त कोश
अनौचित्य का निकटता से भान कराना उपालम्भ / उलाहना
५८. उस्सय (उच्छ्रय)
उच्छ्रयनमुच्छ्रयः ।
(सूच १ पृ १७७ )
जो मन में उच्छ्रयन / बड़प्पन का भाव पैदा करता है, वह उच्छ्रय/मान है ।
५६. ऊसास (उच्छ्वास )
उच्छ्वसनमुच्छ्वासः ।
श्वास लेना उच्छ्वास है ।
६०. एसणा ( एषणा )
एषणं एषणा ।
खोजना एषणा है ।
६१. ओगाह ( अवगाह )
अवगाहणमवगाहः ।
६२. ओहि (अवधि)
अवधानमवधिः ।
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भीतर तक अवगाहन करना / पैठना अवगाह है ।
है ।
६३. कअ (क्रय)
किणणं कओ ।
( अनुद्वामटी प २ )
अवधान / समाधान देता है, वह अवधि ( ज्ञान ) है | जो अवधान / एकाग्रता से उत्पन्न होता है, वह अवधि ज्ञान
खरीदना क्रय है ।
६४. कप्प (कल्प )
कल्पनं कल्पः ।
(प्राक १ टी पृ ३३)
( पंटी प ३५१ )
( निचू १ पृ २७ )
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जो विधि / करणीय है, वह कल्प / आचार है ।
( आचू पृ७८ )
( नंटी पू ७० )
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