Book Title: Nirukta Kosh
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 379
________________ ૪૬ १२३. पक्खेवय ( प्रक्षेपक ) प्रक्षेपणं प्रक्षेपकः । जो फेंकता है, वह प्रक्षेपक है । १२४. पगइ (प्रकृति) प्रकरणं प्रकृतिः । १२५. पज्जय ( पर्यय ) पज्जयणं पज्जयः । स्वभाव का निर्णय करना प्रकृति ( बन्ध ) है | जो गतिशील है, वह पर्यय / पर्याय है । १२६. पडबंध ( प्रतिबन्ध ) पडिबंधणं पडिबंधो । प्रतिबन्धनं प्रतिबन्धः । १२७. पडिमा (प्रतिमा) परिमाणं पडिमा । Jain Education International प्रतिमान / प्रतिकृति प्रतिमा है । १२८. पडिलेहणा (प्रतिलेखना) प्रतिलेखनं प्रतिलेखना । १२६. पडिसेहणा (प्रतिषेधना ) प्रतिषेधनं प्रतिषेधना । जो प्रतिबंधित करता है / रोकता है, वह प्रतिबंध है । निषेध करना प्रतिषेधना / निवारणा है । १३०. पणाम ( प्रणाम ) प्रणमनं प्रणामः । निरुक्त कोश ( बृटी पृ १८६ ) प्रकृष्ट रूप से नमन करना प्रणाम है । (प्राक १ टी पृ ४ ) ( प्रसाटी प १३७ ) प्रतिलेखन / प्रत्येक का निरीक्षण करना प्रतिलेखना है । For Private & Personal Use Only (नंचू पु १३ ) ( दअचू पृ २६८ ) ( बूटी पृ ५८३ ) ( निचू १ पृ १२५ ) ( बृटी पृ २८५ ) (उच् पृ २ ) www.jainelibrary.org

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