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निरुक्त कोश
३३७ ३३. आलोयणा (आलोचना) ___ आलोचनं आलोचना।
(पंटी प ४०७) गुण-दोष का विचार करना आलोचना है। ३४. आस (आश) अशनं आशः।
(सूटी २ प ३९) अशन/भक्षण करना आश/भोजन है। ३५. आसंसा (आशंसा) आशंसनमाशंसा।
(स्थाटी प ४६२) __आकांक्षा करना आशंसा है। ३६. आसव (आश्रव) आश्रवणं आश्रवः।
(स्थाटी प ३०५) जो आश्रवित होता है, झरता है, वह आश्रव है । ३७. आसास (आश्वास) आश्वसनं आश्वासः ।
(आटी प २४६) जो आश्वस्त करता है, वह आश्वास है। ३८. आहाकम्म (आधाकर्मन्) आधानमाधा।
(पिटी प ३५) ___ साधु को देने का विचार कर भोजन आदि बनाने के लिए
जो पचन आदि क्रिया की जाती है, वह आधाकर्म है । ३९. इज्जा (इज्या) यजनमिज्या ।
(अनुद्वामटी प २६) देवताओं को यजन/बलि देना इज्या/यज्ञ है। ४०. इरिया (ईर्या) ईरणं गमनमौर्या ।
(आटी प ४२७) सावधानी से चलना ईर्या (समिति) है। १. आधया कर्म-पाकादि क्रिया, यद्वा आधाय-साधं चेतसि प्रणिधाय
यत्क्रियते भक्तादि तदाधाकर्म । (पिटी प ३५)
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