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परिशिष्ट १ (कृदन्तव्युत्पन्न निरुक्त)
१. अइयार (अतिचार) . अतिचरणमतिचारः।
(आवचू २ पृ ६६) ___मर्यादा का अतिक्रमण करना अतिचार है। २. अइसय (अतिशय) अतिशयनमतिशयः।
__(ओटी प १४) जो विशेषता आपादित करता है, वह अतिशय है । ३. अक्कोस (आक्रोश) आक्रोशनमाकोशः।
(प्रसाटी प १९३) क्रुद्ध होना आक्रोश है। ४. अणुकंपा (अनुकम्पा) अणुकंपणमणुकंपा।
(निचू १ पृ ७६) करुणा से कंपित होना अनुकंपा है । ५. अणुगम (अनुगम) अनुगमनं अनुगमः।
(अनुद्वामटी प ४०) सूत्र का अनुगमन अनुसरण करना अनुगम/व्याख्या है । ६. अणुजोग (अनुयोग) अनुयोजनमनुयोगः ।
(स्थाटी प ३) जो (सूत्र को अर्थ से) अनुयोजित करता है, वह अनुयोग/ व्याख्या है।
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