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निरुक्त कोश
जो शय्या/मकान का धारण रक्षण करता है, वह शय्याधर
प्यादान के द्वारा आत्मा का धार वह शय्याधर है। १७१४. सेणा (सेना)
सिनोति असिना सेना ।
___ जो तलवार के द्वारा शत्रुओं को वश में करती है, वह सेना है। सीयते वाऽसौ दानमानसक्कारादिभिः सेना। (उचू पृ २०६)
जिसका बन्धन सूत्र है दान, मान और सत्कार, वह है सेना। १७१५. सेय (श्रेयस्)
सेयं इति पसंसे अत्थे, सेयंति तमिति सेओ।' (आचू पृ १२४)
जिसकी प्रशंसा की जाती है, वह श्रेय/मोक्ष है । १७१६. सेय (दे) सीदंति तस्मिन्निति स्वेदः।
(सूचू २ पृ ३११) जहां प्राणी अवसाद/पीड़ा को प्राप्त होते हैं, वह सेय/ कीचड़ है। सीयन्ते--अवबध्यन्ते यस्मिन्नसौ सेयः । (सूटी २ प ७)
जिसमें (प्राणी) लिप्त होते हैं, वह सेय/कीचड़ है। १७१७. सेह (सेध)
सेध्यते---निष्पाद्यते यः स सेधः । (स्थाटी प १२४)
जिसे ज्ञान, दर्शन और चारित्र में निष्पन्न किया जाता है, वह सेध/शैक्ष है। १. सिनोति शत्रुमिति सेना। (शब्द ५ पृ ४०६) षि-बन्धने । २. 'सेना' का अन्य निरुक्तइनेन प्रभुणा सह वर्तते या सा सेना । (शब्द ५ पृ ४०६)
जो इन/स्वामी से युक्त है, वह है सेना । ३. अतिशयेन प्रशस्यं श्रेयः । (अचि पृ १३)
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