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निरुक्त कोश
१७१८. सेहंब (सेधाम्ल )
सेधे- सिद्धौ सति यानि अम्लेन --तीमनादिना संस्क्रियते तानि सेधाम्लानि । ( उपाटी पृ २२ )
जो पकने के बाद अम्ल-द्रव्य - तीमन आदि से संस्कृत किए जाते हैं, वे सेधाम्ल हैं ।
१७१६. सोइंदिय ( श्रोत्रेन्द्रिय)
श्रूयते अनेनेति श्रोत्रेन्द्रियं ।
१७२०. सोत ( श्रोतस् )
जिसके द्वारा सुना जाता है, वह श्रोत्रेन्द्रिय / कान है |
श्रवतीति श्रोतः ।
जो करता है, वह स्रोत / निर्भर है ।
१७२१. सोत्तिया ( स्रोतसिका) सवतीति सोत्तिया ।
१७२२. सोदरिय ( सोदर्य )
जो अनुकूल बहती है, वह स्रोतसिका है ।
सोदरे शयिताः सोदर्याः ।
१७२३. सोय ( शौच )
शुद्ध्यतेऽनेनेति सोयम् ।
( उशाटी प ४०६ )
जो एक ही उदर में शयन करते हैं / उत्पन्न होते हैं, वे सोदर्य (भाई) हैं ।
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१७२४. सोय (श्रोत्र)
३२५
( आवचू १ पृ ५२६ )
है ।
१. समानोदरे शयितः सोदरः । ( शब्द ५ पृ ४१५ )
जिससे शुद्धि होती है, वह शौच (धर्म) है ।
( सूच १ पृ २०२ )
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( आचू पृ २५ )
शृणोति भाषापरिणतान् पुद्गलानिति श्रोत्रम् | ( आटी प १०३) जो भाषा में परिणत शब्दों को सुनता है, वह श्रोत्र / कान
(उच्च् पृ २१५)
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