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निरक्त कोश १६१८. सहिय (सहित)
सम्यग् ज्ञानक्रियाभ्यां सहितः।
जो हित/सम्यक् ज्ञान और क्रिया से युक्त है, वह सहित/ मुनि है। सह हितेन-आयतिपथ्येन अर्थादनुष्ठानेन वर्तत इति सहितः ।
(उशाटी प ४१६) ___ जो हित/भावी कल्याणकारी प्रवृत्ति से युक्त है, वह सहित/
मुनि है। १६१६. साइम (स्वाद्य) साएइ गुणे तओ साई।
(आवनि १५८८) सादयति ---विनाशयति स्वकीयगुणान् माधुर्यादीन् स्वाद्यमानमिति स्वादिमम् ।
(प्रसाटी प ५१) स्वाद लेते लेते जिसके माधुर्य आदि गुण विनष्ट हो जाते हैं, वे स्वादिम हैं। स्वाद्यत इति स्वादिमम् ।
(आटी पृ २६४) जिसका आस्वाद लिया जाता है, वह स्वादिम है। १६२०. साउणिय (शाकुनिक) शकुनेन-श्येनलक्षणेन चरन्ति शकुनान् वा घ्नन्तीति शाकुनिकाः ।
(अनुद्वामटी प ११९) जो बाज पक्षी से शिकार करवाता है, वह शाकुनिक है । जो पक्षियों को मारता है, वह शाकुनिक है।
१. तथा स्वादयति रसादीन् गुणान् गुडादिद्रव्यं कर्तृसंयमगुणान् वा यतस्ततः स्वादिम, हेतुत्वेन तदेवास्वादयतीत्यर्थः। ......न चैतन्निरुक्तं कल्पनामात्रं स्वकीयमिति ज्ञेयं ।
(प्रसाटी प ५०, ५१)
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