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निरुक्त कोश
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१४७७. स (श्वन्) शयति श्वसिति वा श्वा।।
(उचू पृ २०३) जो इधर उधर घूमता है, वह श्वा/कुत्ता है।
जो (शीघ्रता से) श्वास लेता है, वह श्वा/कुत्ता है । १४७८. संकम (संक्रम) संकमिज्जति जेण सो संकमो।
(निचू २ पृ ३४) जिससे संक्रमण/पार किया जाता है, वह संक्रम/सेतु है। १४७६. संका (शङ्का) संसयकरणं संका।
(जीतभा १०३६) संशय करना शंका है। • १४८०. संखडि (दे) आउयखंडणा संखडी।
(आचू पृ ३०९) जो (प्राणियों के) आयुष्य को खंडित करती है, वह संखडी/जीमनवार है। १४८१. संखा (संख्या)
सम्यक् ख्यायते-प्रकाश्यतेऽनयेति संख्या। (आटी प २१०)
जो (तत्त्व का) सम्यक् रूप से ख्यापन/प्रकाशन करती
है, वह संख्या/प्रज्ञा है। १४८२. संखा (संख्या)
संख्यायते-निश्चीयते वस्त्वनयेति संख्या। (अनुद्वामटी प ११६)
जो वस्तु की निश्चित परिगणना करती है, वह संख्या है। १. 'व्योम' का अन्य निरुक्त
व्ययति छादयति मां व्योम । (अचि पृ ३७) २. श्वयति गच्छतीति श्वा । (शब्द ५ पृ १७७) ३. आउआणि जम्मि जीवाण संखंडिज्जति सा संखडी।
(निचू २ पृ २०६)
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