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निरुक्त कोश १४१६. विमाण (विमान) विशेषेण मानयन्ति–उपभुञ्जन्ति सुकृतिन एतानीति विमानानि ।'
(उशाटी प ७०१) सुकृत पुण्य करने वाले जिनका विशेष भोग करते हैं, वे
विमान हैं। १४१७. विमुह (विमुख) मुखस्य आदेरभावाद्विमुखम् ।
(भटी पृ १४३१) जिसके मुख प्रवेशद्वार का कोई आदि बिंदु नहीं है, वह
विमुख/आकाश है। १४१८. विमोह (विमोक्ष) विमोक्खतेति विमोहा।
(आचू पृ २८७) जो बन्धन से मुक्त होते हैं, वे विमोक्ष/विमुक्त हैं । १४१६. वियंतिकारय (व्यन्तकारक) विसिट्ठा अंती वियंती, वियंती करेति वियंतीकारओ।
(आचू पृ २७६) विशिष्ट प्रकार का अंत/मरण व्यंत है, जो विशिष्ट प्रकार
से व्यंत/मरण करता है, वह व्यंतकारक है। १४२०. वियक्खण (विचक्षण) ।
विविधमनेकप्रकारमाचष्टे विचक्षणः। (दजिचू पृ २०६)
जो विविध प्रकार से अभिव्यक्ति करता है, वह विचक्षण
१. 'विमान' का अन्य निरुक्तविमान्ति वर्तन्तेऽस्मिन् देवा इति विमानः । (अचि पृ १८) देवता जिसमें वास करते हैं, वह विमान है । विगतं मानमुपमा यस्य विमानम् । (शब्द ४ पृ ४१५) जो अनुपमेय है, वह विमान है।
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