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निरक्त कोश
१४६२. वेदग (वेदक)
वेद्यन्ते–अनुभूयन्ते शुद्धसम्यक्त्वपुञ्जपुद्गला अस्मिन्निति वेदकम् ।
___ (प्रसाटी प २८५) ____ जिसमें शुद्ध सम्यक्त्व का वेदन/अनुभवन किया जाता है,
वह वेदक (सम्यक्त्व) है। १४६२. वेदणा (वेदना) वेद्यत इति वेदना ।
(सूचू २ पृ ३२७) जिसका वेदन/अनुभव किया जाता है, वह वेदना है। १४६४. वेदणीय (वेदनीय) वेद्यते-आह्लादादिरूपेणानुभूयते यत्तद्वेदनायम् ।
(प्रसाटी प ३५६) सुख-दुःख आदि के रूप में जिसका वेदन किया जाता है,
वह वेदनीय (कर्म) है। १४६५. वेय (वेद) वेदेइ जेण सा वेदो।'
(आच पृ १५२) जिसके द्वारा जाना जाता है, वह वेद/आगम है । १४६६. वेय (वेद) वेदेतित्ति वेदो।
(आचू पृ २३७) जो (तत्त्व को) जानता है, वह वेद/आगमज्ञ है । १४६७. वेय (वेद) वेदेति य सुहदुक्खं तम्हा वेदे ।
(भ २/१५) जो सुख-दुःख का वेदन करता है, वह वेद/जीव है । १. 'वेद' का अन्य निरुक्त
(क) वेद्यते सकलचराचरमनेनेति वेदः आगमः । (आटी प १६४) (ख) विन्दत्यनेन धर्म वेदः। (अचि पृ ६०) जिससे धर्म प्राप्त होता है, वह वेद है।
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