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निरक्त कोश १३७६. विग्ध (विघ्न) विशेषेण हन्यते-विनाश्यतेऽनेनेति विघ्नम् । (नक १ टी पृ ५८)
जो विशेष रूप से हनन करता है|बाधा उपस्थित करता है,
वह विघ्न है। १३८०. विजय (विजय) अभ्युदयविघ्नहेतून विजयन्त इति विजयास्तथैव वैजयन्ताः।
(उशाटी प ७०३) जो अभ्युदय के अवरोधक को जीतते हैं, वे विजय/वैजयन्त
(देव) हैं। १३८१. विज्जल (दे)
विगयमानं जतो जलं तं विज्जलं। (दअचू पृ १००)
जिसमें जल की न्यूनता होती है, वह विज्जल कीचड़ है। १३८२. विज्जा (विद्या)
विद्यतेऽनया तत्त्वमिति विद्या। (उशाटी प ४४२)
जिससे तत्त्व जाना जाता है, वह विद्या/श्रुतज्ञान है। १३८३. विज्जाहर (विद्याधर) विद्यां धरन्तीति विद्याधराः।
(राटी पृ १५) जो अनेक विद्याओं को धारण करते हैं, वे विद्याधर हैं। १३८४. विज्जु (विद्युत्) विशेषेण द्योतते-दीप्यत इति विद्युत् । (उशाटी प ४६०)
जो विशेष रूप से द्योतित/दीप्त होती है, वह विद्युत् है । १३८५. विडिमी (दे)
विडिमाणि जेसि विज्जति ते विडिमी। (दअचू पृ ७)
जिनके विडिम/शाखाएं होती हैं, वे विडिमी/वृक्ष हैं ।
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