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निरुक्त कोश
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जो मोक्षार्थी व्यक्तियों के द्वारा उपास्य है, वह भजन्त/
भगवान् है। ११४०. भंत (भान्त/भ्राजन्त)
अहवा 'भा भाजो वा दित्तीए तस्स होइ भंतो त्ति । भाजतो चारिओ सो नाणतवोगुणजुईए ॥' (विभा ३४४७) ____जो ज्ञान आदि से दीप्त होता है, वह भांत या भ्राजन्त/
भगवान् है । ११४१. भंयण (भञ्जन)
भंजते भज्यते वाऽसाविति असंयतैर्भञ्जनः। (सूचू १ पृ १७७)
जो भंग विनाश करता है, वह भजन/लोभ है।
जो आसक्त करता है, वह भजन/लोभ है। ११४२. भग (भग) भज्यत इति भगः।
(स्थाटी प ३३) जिसका विभाग किया जाता है, वह भग/ऐश्वर्य है।
जिसको भोगा जाता है, वह भग/भाग्य है। ११४३. भगव (भग्नवत्) भग्नवन्तः कषायादीनिति भगवन्तः।
(जीटी प ४) जिन्होंने कषाय को भग्न/क्षीण कर दिया है, वे भग्नवान्/ भगवान हैं। १. भाति-दीप्यते भ्राजते वा दीप्यते एव ज्ञानतपोगुणदीप्त्येति भान्तो
भ्राजन्तो वेति । (स्थाटी प ११८) २. (क) इस्सरियरूवसिरिजसधम्मपयत्तामया भगाभिक्खा ।
(विभा १०४८) (ख) ऐश्वर्यस्य समग्रस्य वीर्यस्य यशसः श्रियः।
ज्ञानवैराग्ययोश्चैव षण्णां भग इतीरणाः।। (आप्टे पृ ११८०)
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