________________
२१२
निरक्त कोश
जो भूख और प्यास से व्याकुल होता है, वह बाल है ।
जो कार्य और अकार्य से अनभिज्ञ है, वह बाल है । ११२६. बाहुप्पमद्दि (बाहुप्रमदिन्)
बाहुभ्यां प्रमृद्नातीति बाहुप्रमः । (औटी पृ १९४)
जो भुजाओं से पछाड़ देता है, वह बाहुप्रमर्दी/भुजबली है । ११२७. बिहणीय (बृंहणीय) बृहतीति बृहणीयः।
(जीटी प ३५२) जो बृहण करते हैं, वे बृहणीय हैं। ११२८. बोहणअ (भयानक) __ भापयति—भयवन्तं करोतीति भयानकः । (प्रटी प ५)
जो भयभीत करता है, वह भापनक/प्राणवध है । ११२६. बुद्ध (बुद्ध) बुज्झतीति बुद्धो।'
(दअचू पृ २३४) ___ जो तत्त्व को जानता है, वह बुद्ध मुनि है। ११३०. बुद्धि (बुद्धि) . बुड्यतेऽनयेति बुद्धिः ।
(आवमटी प ५१६) ___ जिससे बोध होता है, वह बुद्धि है । ११३१. बुद्धिल (बुद्धिल)
बुद्धि लात्युपजीवति इति बुद्धिलः। (व्यभा १० टी प ६८)
जो बुद्धि का उपजीवी है, वह बुद्धिल है। ११३२. बोहग (बोधक) बोधयन्तीति बोधकाः।
(जीटी प २५६) जो बोध देते हैं, वे बोधक हैं। १. 'बुद्ध' का अन्य निरुक्त
(क) बुध्यते तत्त्वानि बुद्धः । (अचि पृ ५७) (ख) दधाति बुद्ध्यादीन गुणानिति बुद्धः। (सूचू १ पृ २०४) जो बुद्धि आदि गुणों को धारण करता है, वह बुद्ध/मुनि है ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org