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- निरुक्त कोश
७०. पयोद ( पयोद )
पयं ददातीति पयोदो ।
७१. परंतम (परंतम )
जो पय/ पानी देता है, वह पयोद / बादल है ।
परं - शिष्यादिकं तमयतीति परंतमः ।
७२. परंदम ( परन्दम )
परे य दमयतीति परंदम ।
( स्थाटी प २०७ )
जो शिष्यों को तमित / नियंत्रित करता है, बह परंतम है ।
६७३. परक्कम (पराक्रम )
पराक्रमन्ते णेण परक्कमो ।
जो दूसरों का दमन करता है, वह परंदम है ।
७४. परक्कम (पराक्रम )
परा (न्) क्रमतीति पराक्रमः ।
जिससे दूरी पार की जाती है, वह पराक्रम / मार्ग है |
७५. परग्घ ( परार्ध्यं )
परमो जस्स अग्घो तं परग्धं ।
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९७६ परतरग (परतरक)
( दजिचू पृ २६३ )
( आवचू पृ ४८६ )
जो दूसरों को आक्रान्त / परास्त करता है, वह पराक्रम है ।
७७. परपंडित (परपण्डित )
परः -- प्रकृष्टः पण्डितः परपण्डितः ।
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(उच् पृ १६० )
जिसका उत्कृष्ट अर्ध्य / मूल्य है, वह परार्ध्य है ।
( अचू १ पृ १०० )
ये तपः कर्तुमसमर्था वैयावृत्यं चाचार्यादीनां कुर्वन्ति ते परं तारयान्तीति परतरकाः । (व्यभा ३ टीप ३)
जो दूसरों को तारते हैं, सेवा करते हैं, वे परतारक हैं ।
जो प्रकृष्ट पण्डित है, वह परपण्डित है ।
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( अचू पृ १७५)
( स्थाटी प ४३२)
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