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निरक्त कोश
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पाराञ्ची स एव पाराञ्चिकः। (स्थाटी प १५७)
जो तपः प्रायश्चित्त के द्वारा अपराधों का पार/विशोधन
कर पुनः दीक्षित होता है, वह पाराञ्चिक है । १०५२. पारंचिय (पाराञ्चित)
यस्मिन् प्रतिसेविते लिङ्गक्षेत्रकालतपसां पारमञ्चति तत् पाराञ्चितम् ।
जिसका प्रतिसेवन करने पर लिङ्ग, क्षेत्र, काल, तप आदि का पार अंत हो जाता है, वह पाराञ्चित अन्तिम प्रायश्चित्त है। पारं-अन्तं प्रायश्चित्तानां तत उत्कृष्टतरप्रायश्चित्ताभावाद ।
(प्रसाटी प २८१) जो प्रायश्चित्तों में अन्तिम उत्कृष्ट प्रायश्चित्त है, वह
पाराञ्चित है। १०५३. पारय (पारग) पारं गच्छतीति पारगो।
(आचू पृ २६६) ____ जो पार पा लेता है, वह पारग है। १०५४. पारविउ (पारविद्)
पारं-तीरं पर्यन्तगमनं तद्वत्तीति पारविद् । (सूटी २ प ४१)
जो पार पाना जानते हैं, वे पारविद् हैं। १०५५. पारिणामिया (पारिणामिकी)
परि-समन्तान्नमनं परिणामः (सुदीर्घकालपूर्वापरावलोकनादिजन्य आत्मधर्मः) स कारणं यस्याः सा पारिणामिकी ।
(भटी पृ १०५३) जो परिणाम सुदीर्घ अतीत की ज्ञानसंपदा से उत्पन्न होती है, वह पारिणामिकी (बुद्धि) है । १०५६. पारिहारिक (पारिहारिक) परिहरणं परिहारः तपोविशेषस्तेन चरन्तीति पारिहारिकाः ।
(प्रसाटी प १६९)
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