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निरक्त कोश ११०१. पूयणा (पूतना) पातयन्ति धर्मात् पासयन्ति वा चारित्रमिति पूतनाः ।
(सूचू १ पृ. ६६) जो धर्म से नीचे गिराती हैं, वे पूतना/विकृतियां हैं।
जो चारित्र को जकड़ लेती हैं, वे पूतना हैं। ११०२. पूयाहिज्ज (पूजाहार्य)
पूजया ह्रियते--आवय॑ते इति पूजाहार्यः। (पिटी प १३१)
जो पूजा से गृहीत होता है, वह पूजाहार्य है। ११०३. पूरी (पूरी) पूर्यते-स्तोकैरपि तन्तुभिः पूर्णीभवतीति पूरिका ।
___(बृटी पृ १०५५) जो थोड़े तन्तुओं से भी पूर्ण हो जाती है, वह पूरिका
(मोटे शण से बना हुआ पट) है । ११०४. पेज्ज (प्रेज्य)
प्रकर्षेण वा इज्या-पूजास्येति प्रेज्यम् । (औटी पृ १८१)
जो अत्यन्त पूजनीय है, वह प्रेज्य/प्रेय है। ११०५. पेस (प्रेष्य)
पुनः पुनः प्रेष्यन्ते इति प्रेष्याः। (सूचू १ पृ १३५)
जिन्हें बार-बार भेजा जाता है, वे प्रेष्य/नौकर हैं। ११०६. पेसल (पेशल) पीति उप्पाएतीति पेसलो।
(आचू पृ २४१) प्रियं करोतीति पेशलः।
(उचू पृ १७७) जो प्रीति उत्पन्न करता है, वह पेशल/सुन्दर है। १. पिशति पेशलम् । (अचि पृ ३२३) जो सुसज्जित है, वह पेशल/सुन्दर है। (पिश्-Decorate आप्टे
पृ १०२३)
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