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निरुक्त कोश
पुरि सयणा वा पुरिसो' ।
जो पुर / शरीर में निवास करता है, वह पुरुष है । पिबति प्रीणाति चात्मानमिति पुरुषः । ( उचू पृ १४७ )
जो आत्मा का उपभोग करता है, उसे तृप्त करता है, वह पुरुष है ।
: १०६६. पुरिसविजय ( पुरुष विचय )
पुरुषा विचीयन्ते - मृग्यन्ते विज्ञानद्वारेणान्वेष्यन्ते येन स पुरुषविचयः । ( सूटी २ प ५६ )
जिस विज्ञान से पुरुष का विश्लेषण किया जाता है, वह पुरुषविचय है ।
-१०६७. पुरिसादाणिय ( पुरुषादानीय )
पुरुषाणां मध्ये आदीयत इत्यादानीयः ।
१०९८. पुव (पूर्व )
( स्थाटी प ४१२ )
जो पुरुषों में आदानीय / उपादेय है, वह पुरुषादानीय है ।
पूरयतीति पूर्व: ।
पिपर्तीति पूर्व: ।
जो पूर्ण करता है, वह पूर्व है ।
पूर्यते प्राप्यत पाल्यते वाऽनेन कार्यमिति पूर्वम् ।
१०. पुण्वगत (पूर्वगत)
सर्वभूतात्पूर्व क्रियन्त इति पूर्वाणि गतः-- अभ्यन्तरीभूतः पूर्वगतः ।
२०७
( आचू पृ १५ )
११००. पुव्वधर ( पूर्वधर)
हैं ।
जिससे कार्य पूर्ण / व्याप्त / रक्षित होता है, वह पूर्व है ।
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पूर्वाणि धारयन्तीति पूर्वधराः ।
जो सम्पूर्ण श्रुत में प्रथम है, वह पूर्वश्रुत है और उसमें समागत तत्त्व पूर्वगत है ।
( उचू पृ १५१ )
( नंटि पृ १२८ )
( नंटी पू ४५ )
उत्पादपूर्वादीनि चतुर्दश तेषु
( स्थाटी प ४७० )
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( विभामहेटी पृ ३२३)
जो पूर्व / अतुल ज्ञानराशि को धारण करते हैं, वे पूर्वधर
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