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निरुक्त कोश
जो माता-पिता को पवित्र करता है, वह पुत्र है।
जो पितृमर्यादा/कुलमर्यादा का पालन/रक्षण करता है, वह
पुत्र है। १०६१. पुप्फ (पुष्प) पुष्पन्ति-विकसन्तीति पुष्पाणि ।
(बृटी पृ ६३) जो पुष्पित विकसित होते हैं, वे पुष्प हैं । १०६२. पुर (पुर) पूर्यत इति पुरम् ।
(उचू पृ २२२) जो जनाकीर्ण है, वह पुर है । १०६३. पुरंदर (पुरन्दर)
असुरादीणं पुराणि दारइत्ति पुरंदरो। (दश्रुचू पृ ६४)
जो असुर आदि के पुरों/नगरों का विदारण करता है, वह
पुरंदर/इन्द्र है। १०९४. पुरक्कार (पुरस्कार) पुरस्करोति-प्राधान्येनाङ्गोकुरुत इति पुरस्कारः।
(उशाटी प ५१६) जो पुर/प्रधानरूप से ग्रहण किया जाता है, वह पुरस्कार
१०६५. पुरिस (पुरुष)
पुन्नो सुहदुक्खाणं पुरिसो।
जो सुख-दुःख से पूर्ण है, वह पुरुष है।
१. पुरि शरीरे शेते पुरुषः । (अचि पृ ३०६) २. 'पुरुष' के अन्य निरुक्त--
पृणाति पुमर्यानिति पुरुषः। (अचि पृ ७६) जो पुमर्थ/पुरुषार्थ चतुष्टयी को पुष्ट करता है, वह पुरुष है। पुरि उच्चे ठाणे सेति पव्वत्तीति पुरिसो (विटी १ पृ १६) जो महान् स्थानों में प्रवर्तित होता है, वह पुरुष है।
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