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निरुक्त कोश
६६७ परिरय ( परिरय )
परि समन्ताद् रयणं परिरयः ।
है ।
६८. परिवसणा (परिवसना )
( बृटी पू ३०२ )
परितः / चारों ओर से रयण / भ्रमण परिरय / परिभ्रमण
पागतिया गिहत्था एगत्थ चत्तारि मासा परिवर्ततीति परिवसणा । (दश्रुचू पृ ५२ ) साधारण गृहस्थ जिसमें चार मास तक एक स्थान पर रहते हैं, वह परिवसना / वर्षावास है ।
SEE परिवाय (परिपात )
परिपातो वा गुणेभ्यः परिपातनमिति । (भटी पृ १०५१ ) गुणों से पतित करना परिपात / निंदा है ।
१०००. परिवायअ ( परिव्राजक )
पावाइं परिहरतो पारिव्वातो । परिसमन्तात् पापवर्जनेन व्रजति - गच्छतीति
१००१. परिवेसण ( परिवेषण)
परिवेष्यते - भोजनं दीयते येभ्यस्ते परिवेषणाः ।
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परिव्राजकः ।
जो पूर्णरूप से पाप का वर्जन कर व्रजन / गमन करता है, वह परिव्राजक है ।
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१. श् - गतिरेषणयोः ।
( दजिचू पृ ३७ )
जिनको भोजन परोसा जाता है, वे परिक्षण हैं । १००२. परिसप्प ( परिसर्प ) परि-समन्तात्सर्पन्ति - गच्छन्तीति परिसर्पाः 1
( दटी प ८४ )
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(पिटीप १०५)
( उशाटी प ६६६ )
जो संपूर्ण शरीर से सर्प / गमन करते हैं, वे परिसर्प हैं ।
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