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निरुक्त कोशः
९७८. परपरिवाय (परपरिवाद) परेषामपवदनं परपरिवादः ।
(भटी पृ १०५१) पर दूसरों का अपवाद/निंदा करना परपरिवाद (पाप)
९७९. परम (परम) परं माणं जस्स तं परमं ।
(आचू पृ १११) जिसका मान-परिमाण उत्कृष्ट है, वह परम है। ९८०. परमचक्खु (परमचक्षुष्)
परं--केवलनाणं तं जस्स चक्खु परमचक्खू । (आचू पृ १७०)
___ जिसका चक्षु परम/उत्कृष्ट ज्ञान है, वह परमचक्षु है । ६८१. परमट्ठपय (परमार्थपद)
परमः-प्रधानः अर्थः परमार्थो—मोक्षः स पद्यते-गम्यते यस्तानि परमार्थपदानि ।
(उशाटी प ४८७) जिनके द्वारा परम-अर्थ / मोक्ष प्राप्त होता है, वे परमार्थपद/
सम्यक्-दर्शन आदि हैं। ९८२. परमट्ठाणुगामिय (परमार्थानुगामिक) ज्ञानादयो वा परमार्थाः तान् अनुगच्छतीति परमार्थानुगामिकः ।
(सूचू १ पृ १७६) जो परमार्थ ज्ञान आदि का अनुगमन करते हैं, वे परमार्था
नुगामिक हैं। ९८३. परमदंसि (परमशिन्) परो संजमो मोक्खो वा, परं पस्सतीति परमदंसी ।
__(आचू पृ ११४) जो परम/संयम/मोक्ष को देखता है, वह परमदर्शी है । ९८४. परमसंजत (परमयंयत) परमः-प्रधानः स चेह मोक्षस्तदर्थं सम्यग् यतते परमसंयतः ।
(उशाटी प ६६५)
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