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निरुक्त कोश
१६३ जिसमें द्रोणी/नौका के द्वारा मुख/प्रवेश होता है, वह द्रोणमुख है। ८४७. दोस (द्वेष) ___दूसंति तेण तम्मि व......... (दोसो)। (विभा २९६६)
जिससे प्राणी दूषित/विकृत होते हैं, वह दोष द्वेष है। ८४८. दोस (दोष) दूसयतीति दोसो।
(दअचू पृ १०२) दूसिज्जति जेण स दोसो।
(निचू १ पृ ३७) ____ जो दूषित करता है, वह दोष है। ८४६. धण (धन) दधाति' धीयते' वा धनम् ।'
(उचू पृ १९२) जो सुख को धारण करता है, वह धन है ।
जो पूर्ण करता है, वह धन है । ८५०. धणु (धनुष) ध्नन्ति तेन धारयति वा धनुः ।।
जिससे मारा जाता है, वह धनुष है ।
जिससे धारण रक्षण किया जाता है, वह धनुष है। १. दधाति सुखमिति धनम् । (शब्द २ पृ ७७६) २. धो (धीयते) पूर्ण करना (आप्टे पृ ८६२) ३. 'धन' शब्द का अन्य निरुक्त
धनति शब्दायते धनम् । (अचि पृ ४५)
जो व्यक्ति को प्रसिद्ध करता है, वह धन है। ४. 'धनुष' के अन्य निरुक्त
धन्यतेऽयंते, धमति शब्दायते ज्याघातेन वा धनुः । (अचि पृ १७०) जिससे विजय प्राप्त होती है, वह धनुष है । जो ज्या/धनुष की डोरी के आघात से शब्द करता है, वह धनुष है। धन्वन्त्यस्मादिषवः धनुः । (नि ६/१६) जिससे बाण छूटते हैं, वह धनुष है। (धन्वतेर्गतिकर्मणः, वध कर्मणो वा)
(उचू पृ १८३)
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